ब्लैक फंगस: शहर में 114 एक्टिस केस, मेडिकल में ही 76 मरीज
ब्लैक फंगस: शहर में 114 एक्टिस केस, मेडिकल में ही 76 मरीज
डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना महामारी के बीच बड़े खतरे की तरह सामने आ रहे ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या फिलहाल स्थिर है। शहर में वर्तमान में 114 एक्टिव केस हैं, इनमें से 76 केस मेडिकल कॉलेज में हैं, वहीं 38 मरीज निजी अस्पतालों में इलाजरत हैं। मेडिकल कॉलेज में रोजाना 4 ऑपरेशन हो रहे हैं, वहीं अब तक 29 ऑपरेशन किए जा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्व में निर्देश भी दिए गए हैं, जहाँ कहीं भी इस तरह के संभावित मरीज हों, उन्हें डिस्चार्ज करने से पहले नेजल एंडोस्कोपी कराई जाए। विशेषतौर पर ऐसे कोरोना मरीज जो मधुमेह से पीडि़त हों या जिन्होंने ऑक्सीजन के लिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग किया हो। मेडिकल कॉलेज में म्यूकोरमाइकोसिस के लिए डेडिकेटेड वार्ड बनाया गया है। वहीं शुक्रवार को मिले व्हाइट फंगस के मरीज का उपचार भी चल रहा है, अभी उन्हें डिस्चार्ज नहीं किया गया है।
मेडिकल पहुँची टेबलेट्स-
मेडिकल कॉलेज में शनिवार को केटोकोनोजल की लगभग 1500 टेबलेट्स प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गईं। ब्लैक फंगस के इलाज में इन दवाओं का प्रयोग किया जाता है। बता दें कि ब्लैक फंगस के ट्रीटमेंट में उपयोग इंजेक्शन्स की कमी मार्केट में अभी भी बनी हुई है। मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों को प्रशासन द्वारा इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो जरूरत के अनुसार मरीजों को दिए जा रहे हैं।
फंगल कल्चर, बायोप्सी की जाँच-
मेडिकल कॉलेज में वार्ड प्रभारी डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि फिलहाल जितने मरीज हैं, उतने इंजेक्शन आ रहे हैं। आम तौर पर 1 मरीज को 1 इंजेक्शन रोज दिया जाता है। शरीर के वजन को देखते हुए यह तय किया जाता है। वहीं ब्लैक फंगस की जाँच के लिए फंगल कल्चर, केओएच और बायोप्सी जैसी जाँचें कराई जा रही हैं। एमआरआई भी जाँच में सहायक है।
शुगर पर रखें नजर-
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से ठीक हो चुके या ठीक हो रहे मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि कोरोना के ट्रीटमेंट के दौरान स्टेरॉइड आदि देने से मरीज की शुगर बढ़ जाती है, जो ब्लैक फंगस होने का बड़ा कारण है। उन मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है, जो लंबे वक्त से डायबिटीज से जूझ रहे हैं। ऐसे में कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर हैल्थ चैकअप कराएँ, खास तौर पर शुगर की जाँच।
इन लक्षणों से पहचानें-
ब्लैक फंगस के मरीजों में चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द, नाक बंद होना, उल्टी आना, मुँह के ऊपरी हिस्से या नाक में काले घाव होना, चेहरे पर झुनझुनी आना, दाँत सुन्न होना, तालू पर छाले होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।