शिवसेना का आरोप - अधिकारियों से सांठगांठ कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाहती है भाजपा

शिवसेना का आरोप - अधिकारियों से सांठगांठ कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाहती है भाजपा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-03-24 15:54 GMT
शिवसेना का आरोप - अधिकारियों से सांठगांठ कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाहती है भाजपा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में तीन दलों की सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना ने आरोप लगाया है कि विपक्षी भाजपा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाहती है। पार्टी ने कहा कि राज्य कि महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को कमजोर करने के लिए भाजपा और कुछ अधिकारियों के बीच सांठगांठ है। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र में छपी संपादकीय में ‘‘फोन टैपिंग प्रकरण’’ और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संजय पांडे द्वारा निराशा जाहिर किए जाने पर कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को दावा किया था कि तत्कालीन खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला द्वारा इजाजत लेकर फोन रिकॉर्ड किए गए थे और कॉल पर की गई बातचीत का ‘6.3 जीबी डेटा’ उनके पास है जिसमें कई अहम पुलिस अधिकारियों के नामों पर चर्चा की गई थी। उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री से भी मुलाकात की और महाराष्ट्र में पुलिसकर्मियों के तबादलों में ‘‘भ्रष्टाचार’’ की सीबीआई जांच कराने की मांग की। संपादकीय में कहा कि यह साफ है कि महाराष्ट्र की छवि धूमिल करने की साजिश के पीछे भाजपा है।

पार्टी ने राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह के पत्र का जिक्र करते हुए उनकी आलोचना की है। पार्टी ने कहा है कि हैरानी होनी चाहिए कि अब तक परमबीर सिंह सेवा में हैं। उनके खिलाफ सेवा शर्तों के उलंघन के मामले में कार्रवाई नहीं की गई है। शिवसेना ने कहा है कि जिन्हें परमबीर सिंह का पत्र इतना महत्वपूर्ण लग रहा है उन्हें पुलिस अधिकारी अनूप डांगे के साथ भी न्याय करना चाहिए जिन्होंने सिंह के बारे में लिखा था। राज्य के लोग जानते हैं कि क्यों और किसलिए भाजपा यह सब कर रही है। भाजपा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति शासन लागू करवाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करना है। सिंह और पांडे जैसे अधिकारियों ने ‘राज्य सरकार के बारे में संदेह का माहौल पैदा’ करने के लिए मीडिया को अपने पत्र लीक किए। शिवसेना ने कहा है कि फडणवीस फोन टैपिंग रिपोर्ट लेकर केंद्र के पास गए जो सुबोध जायसवाल और रश्मि शुक्ला जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य सरकार को अंधेरे में रखकर तैयार की।   इसका मतलब है कि राज्य प्रशासन में काम कर रहे ये लोग एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। 

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