पंजाब की जीत के बाद अब गुजरात पर है केजरीवाल की नजर
बढ़ा सियासी कद पंजाब की जीत के बाद अब गुजरात पर है केजरीवाल की नजर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब में मिली बंपर जीत के बाद आम आदमी पार्टी (आप) अब देश की दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों से कहीं आगे निकल गई है। दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने की तैयारी में जुटे आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सियासत में वो मुकाम हासिल कर लिया है, जो अब तक ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव, शरद पवार जैसे क्षत्रपों को भी नसीब नहीं हुआ है। ये क्षत्रप तमाम कोशिशों के बावजूद एक से ज्यादा राज्यों में अपनी सरकार नहीं बनवा पाए हैं।
कांग्रेस के लगातार गिरते ग्राफ के मद्देनजर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का विकल्प बनने की दौड़ में आम आदमी पार्टी अब तृणमूल कांग्रेस से आगे निकल गई है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया कहते हैं, ‘पंजाब ने केजरीवाल के शासन मॉडल को मौका दिया है। आज उनके शासन का मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुका है। यह आम आदमी की जीत है’। पार्टी ने पंजाब में 92 सीटों के साथ शानदार जीत दर्ज की है तो गोवा में भी अब उसके दो विधायक हैं। दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने तथा गोवा में अपना खाता खोलने के बाद आप की नजर अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने पर है, ताकि उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो सके।
अब दो राज्यों में होगी ‘आप’ की सरकार
नवंबर 2012 में गठित आम आदमी पार्टी इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसकी 10 साल के अंदर दो राज्यों में सरकारें होंगी। भाजपा और कांग्रेस के बाद आप ऐसी तीसरी पार्टी बनने जा रही है, जिसकी देश के दो या अधिक राज्यों में सरकारें हैं। आप के शानदार सियासी रिकॉर्ड के मद्देनजर राकांपा प्रवक्ता बृजमोहन श्रीवास्तव कहते हैं कि वास्तव में यह पार्टी शोध का विषय हो सकती है। उन्होने कहा कि दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों के लिए केजरीवाल एंड टीम के काम करने के तरीके को जानना व समझना दिलचस्प रहेगा।
अब गुजरात पर है केजरीवाल की नजर
दिल्ली और पंजाब में अपना कमाल दिखा चुकी आम आदमी पार्टी अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अपनी ताकत झोंकेगी। इसी वर्ष के अंत में यहां चुनाव होने हैं। वरिष्ठ पत्रकार आनंद व्यास बताते हैं कि आप गुजरात में कांग्रेस के साथ भाजपा के लिए भी मुश्किलें खड़ी करेगी। वे कहते हैं कि भविष्य में कई राज्यों में भाजपा को कांग्रेस से नहीं, बल्कि आप की चुनौती से पार पाना होगा। बता दें कि पिछले वर्ष सूरत नगर निगम के चुनाव में केजरीवाल की पार्टी अपना दम दिखा चुकी है।