लोक सभा में 129 तो राज्यसभा में 99.80 फीसदी हुआ कामकाज
अनिश्चितकाल के लिए स्थगित लोक सभा में 129 तो राज्यसभा में 99.80 फीसदी हुआ कामकाज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र अपने पूर्व निर्धारित समय से एक दिन पहले गुरूवार को संपन्न हो गया। बजट सत्र के दूसरे चरण में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। बजट सत्र की शुरूआत पिछले 31 जनवरी को हुई थी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरूवार को बताया कि बजट सत्र में सदन की कार्य उत्पादकता 129 फीसदी रही। सत्र के सफल संचालन के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष को धन्यवाद देते हुए बिरला ने कहा कि इस सत्र में कुल 27 बैठकें हुईं, जो लगभग 177 घंटे 50 मिनट तक चली। उन्होने बताया कि सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर कुल 15 घंटे 13 मिनट की चर्चा हुई और उसे ध्वनि मत से पारित किया गया। इसी प्रकार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश आम बजट पर 15 घंटे 35 मिनट की चर्चा हुई। उन्होने यह भी बताया कि इस सत्र में सदस्यों ने 40 घंटे अतिरिक्त बैठकर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की है। लोक सभा में कुल 13 विधेयक पारित किए और 5 मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई। सत्र के दौरान 182 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए।
बदलते परिप्रेक्ष्य में सूचना प्रौद्योगिकी के संदर्भ में श्री बिरला ने विधान मंडलों की कार्यववाही को आधुनिक तकनीक से युक्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर निश्चित रूप से ‘वन नेशन, वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ को वर्ष 2023 तक तैयार करने की बात कही।
हंगामे के चलते समापन संबोधन नहीं दे पाए सभापति
बजट सत्र के दौरान राज्य सभा में कार्य उत्पादकता 99.80 फीसदी रही। इस दौरान सदन की कुल 27 बैठकें हुई। सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस और शिवसेना के सदस्यों के हंगामे चलते सभापति एम वेंकेया नायडू अपना पारंपरिक समापन संबोधन भी नहीं दे पाए। सदस्यों के हंगामे पर नायडू ने कहा, ‘मैं बहुत दुखी हूं’। उन्होने कहा कि सदस्यों के आचरण से गलत संदेश जा रहा हौ। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक सदन की कार्यवाही 127 घंटे 44 मिनट चली जो निर्धारित समय से 10 मिनट कम है। कार्यवाही और 10 मिनट चलती तो सदन की उत्पादकता 100 प्रतिशत हो जाती। बजट सत्र में राज्यसभा में कुल 11 विधेयक पारित किए गए और एक विधेयक पेश किया गया। सदन में 135 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए तो शून्यकाल के दौरान 248 और विशेष उल्लेख के तहत 168 मामले उठाए गए।