यूपीएससी को पत्र: यूपीएससी में अब नहीं होगी सीधी भर्ती, केन्द्र ने सीधी भर्ती विज्ञापन रोकने को कहा

  • संघ लोक सेवा आयोगा (यूपीएससी) की लेटरल एंट्री भर्ती पर रोक
  • केन्द्र सरकार की ओर से यूपीएससी को पत्र लिखा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-20 15:27 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. केन्द्र सरकार ने संघ लोक सेवा आयोगा (यूपीएससी) की लेटरल एंट्री भर्ती पर रोक लगा दी है। इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से यूपीएससी को पत्र लिखा गया है। लेटरल एंट्री भर्ती पर विपक्ष और कुछ सहयोगी दलों की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद केन्द्रीय कार्मिक मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने यूपीएससी के चेयरमैन को पत्र लिखा है। डॉ सिंह ने अपने पत्र में यूपीएससी से सीधी भर्ती का विज्ञापन रद्द करने को कहा है। बता दें कि यूपीएससी ने हाल ही में लेटरल एंट्री का भर्ती विज्ञापन जारी िकया था। विज्ञापन आने के बाद न केवल विपक्ष, बल्कि सरकार की सहयोगी पार्टी लोजपा (आर) के अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इसकी मुखालफत की थी। जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान लेटरल एंट्री की पहल की गई थी। साल 2005 में कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पहली बार केन्द्र ने लेटरल एंट्री की सिफारिश की थी।

मोदी ने जताई बाबा साहेब के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता : वैष्णव

लेटरल एंट्री पर केन्द्र सरकार के यू-टर्न लेने पर केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामाजिक न्याय के प्रति हमेशा अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। उन्होंने कहा कि यूपीएससी ने लेटरल एंट्री का जो पारदर्शी निर्णय लिया था, उसमें आरक्षण का सिद्धांत लगे, ऐसा निर्णय लिया गया है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच कर उसे न्याय दिलाने की मोदी की प्रतिबद्धता आज के यूपीएससी के लेटरल एंट्री में रिजर्वेशन के सिद्धांत को लगाने के निर्णय में भी झलकती है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री के द्वारा पारदर्शिता लाई जा रही थी और अब उसमें आरक्षण का सिद्धांत लाकर सामाजिक न्याय का ध्यान रखते हुए संविधान के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट की गई है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान आरक्षण के सिद्धांतों को ध्यान में नहीं रखा गया था। उन्होंने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह, डॉ मोंटेक सिंह अहलूवालिया और डॉ विजय केलकर भी लेटरल एंट्री के द्वारा ही वित्त सचिव बने थे। क्या कांग्रेस ने उस वक्त आरक्षण के सिद्धांत का ध्यान रखा था?

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