2025 तक: 350 अरब डॉलर तक पहुंचेगा भारतीय कपड़ा उद्योग, साझेदारी बढ़ाना चाहता है अमेरिकी कपास
- भारत और अमेरिका के बीच कपड़ा व्यापार साझेदारी को बढ़ाने पर जोर
- 2025 तक 350 अरब डॉलर तक पहुंचेगा भारतीय कपड़ा उद्योग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. कॉटन काउंसिल इंटरनेशनल (सीसीआई) ने भारत और अमेरिका के बीच कपड़ा व्यापार साझेदारी को बढ़ाने पर जोर दिया है। दरअसल अमेरिकी कपास भारतीय स्पिनरों के लिए आयातित कपास में सबसे बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है। कल यानी 19 जून को दिल्ली में कॉटन यूएसए का आयोजन हो रहा है, जिसमें अमेरिकी कपास और भारतीय कपड़ा उद्योग के बीच की साझेदारी पर चर्चा होगी। सीसीआई के कार्यकारी निदेशक ब्रूस एथरले ने कहा कि भारत में कपड़ा उद्योग के 2025 तक बढ़कर 350 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अमेरिकी कपास के लिए भारत एक प्रमुख बाजार है, इसलिए हमारी कोशिश है कि दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में और सहयोग बढ़े। एथरले ने कहा कि भारत ने कपड़ा निर्यात में गति पकड़ी है और मार्च में साल-दर-साल के आधार पर 6.91 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। उन्होंने कहा कि इस लिहाज से वर्ष 2030 तक कपड़ा निर्यात में 100 अरब डॉलर के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए यह जरूरी है कि दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़े। साथ ही मजबूत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों की भी जरूरत पड़ेगी।
इस अवसर पर भारत और श्रीलंका में सीसीआई के कार्यक्रम प्रतिनिधि पीयूष नारंग ने कहा कि भारतीय कपड़ा उद्योग के साथ हमारी मूल्यवान साझेदारी दोनों उद्योगों को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कपास का उपयोग कर भारतीय कपड़ा निर्माता न केवल वैश्विक गुणवत्ता मानकों को पूरा कर सकते हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त भी बना सकते हैं।
क्या है कॉटन काउंसिल इंटरनेशनल?
कॉटन काउंसिल इंटरनेशनल(सीसीआई), नेशनल कॉटन ऑफ अमेरिका (एनसीसी) की निर्यात संवर्धन शाखा है, जो कॉटन यूएसए ट्रेडमार्क के साथ दुनिया भर में अमेरिकी कॉटन फाइबर और निर्मित कॉटन उत्पादों को बढ़ावा देता है। इसकी पहुंच दुनिया भर में 50 से अधिक देशों तक है।