कांगड़ा: भगवा दुर्ग भेदने में आनंद शर्मा को छूट रहा पसीना, कभी था कांग्रेस का गढ़
- अब यहां है भाजपा का दबदबा
- कभी कांग्रेस का गढ़ था
- आनंद शर्मा को छूट रहा पसीना
डिजिटल डेस्क, अजीत कुमार, कांगड़ा। प्राचीन किलों और शक्तिपीठों के लिए प्रसिद्ध कांगड़ा सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यहां से लगातार तीन चुनाव जीत चुकी भाजपा चौथी बार भी लय बरकरार रखने की जुगत में है तो कांग्रेस के सामने भाजपा की जीत के सिलसिले को तोड़कर अपने राष्ट्रीय नेता आनंद शर्मा को पहली बार लोकसभा में पहुंचाने की चुनौती है। कांगड़ा-चंबा लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला ब्राह्मण बनाम ब्राह्मण का है। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार डॉ राजीव भारद्वाज के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री आनंद शर्मा को मैंदान में उतारकर चुनाव रोचक बना दिया है। हालांकि शिमला मंे जन्मे आनंद शर्मा को ‘बाहरी’ बताकर भाजपा अपने स्थानीय प्रत्याशी राजीव भारद्वाज की जीत सुनिश्चित करने में जुटी है। खास बात यह कि आनंद शर्मा और राजीव भारद्वाज दोनों का लोकसभा का यह पहला चुनाव है। जो भी जीतेगा, वह पहली बार लोकसभा में पहुंचेगा। चार बार राज्यसभा में रह चुके आनंद शर्मा के पास इस बार कांगड़ा का चुनावी किला फतह कर खुद को जननेता साबित करने का मौका है। ज्वालामुखी के संदीप राणा कहते हैं कि शर्मा की दिल्ली मंे भले ही धाक होगी, लेकिन कांगड़ा के लोगों से उनका कभी वास्ता नहीं रहा। नुरपुर के दुकानदार धर्मदास ने कहा कि यहां मुकाबला कांटे का है। ऊंट किस करवट बैठेगा, कहना मुश्किल है।
सीएम और कांग्रेस विधायकों का है असल इम्तिहान
कांगड़ा के चुनावी समर में भले ही आनंद शर्मा खड़े हों, लेकिन यहां असल इम्तिहान प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांगड़ा-चंबा लोकसभा सीट से जीते कांग्रेस के 11 विधायकों का है। मुख्यमंत्री और विधायकों पर 2022 विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराने का दबाव है। सुक्खू के लिए इसलिए भी यह प्रतिष्ठा की सीट बन गई है, क्योंकि उनकी सलाह पर ही आनंद शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री सुक्खू अब तक कई बार यहां प्रचार करने पहुंच चुके हैं। मुख्यमंत्री जनसभाओं में कहते हैं कि शर्मा के रूप में उन्हें सिर्फ एक सांसद नहीं, बल्कि एक केन्द्रीय मंत्री को चुनना है, क्योंकि केन्द्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर शर्मा कैबिनेट मंत्री बनेंगे। वे यह भी याद दिलाते हैं कि केन्द्रीय मंत्री के रूप में आनंद शर्मा ने कांगड़ा में फैशन टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, शिमला में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय और नादौन में स्पाइस पार्क की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी।
भाजपा को मोदी की गारंटी पर है भरोसा
उधर भाजपा को मोदी की गारंटी पर भरोसा है। 2019 का चुनाव लगभग पौने पांच लाख वोटों से जीती भाजपा को पूरा भरोसा है कि इस बार भी क्षेत्र की जनता मोदी सरकार का कामकाज देख राजीव भारद्वाज को लोकसभा भेजेगी। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के किशन कपूर ने कांग्रेस के पवन काजल को 4,77,628 वोटों से शिकस्त दी थी। वैसे 1977 के चुनाव को छोड़ दें तो 1952 से 1984 तक कांगड़ा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था। लेकिन इसके बाद यहां भाजपा का दबदबा बढ़ता गया। 1989, 1998, 1999 और 2014 में भाजपा के शांता कुमार यहां से सांसद बने तो 2009 में भाजपा के ही राजन सुशांत और 2019 में भाजपा के किशन कपूर ने जीत दर्ज की थी। 1996 कांग्रेस के सत महाजन और 2004 में कांग्रेस के ही चंदर कुमार यहां से माननीय बने थे।
नतीजों पर जाति का असर नहीं
इस सीट पर सबसे ज्यादा 34 प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं। 32 प्रतिशत ओबीसी हैं। लेकिन यहां के चुनाव नतीजे बताते हैं कि कभी भी यहां जाति पर वोट नहीं पड़े। खत्री समुदाय महज 8 प्रतिशत है, लेकिन इस समुदाय के पांच नेता यहां से सांसद बन चुके हैं। इसी प्रकार ब्राह्मण मतदाता भले ही 20 प्रतिशत हों, लेकिन यहां से पांच बार ब्राह्मण उम्मीदवार भी परचम लहरा चुके हैं। इस संसदीय क्षेत्र में कुल 17 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 11 पर कांग्रेस तो पांच पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर एक जून को मतदान होना है।
1989 से यहां है भाजपा का दबदबा
आनंद शर्मा, कांग्रेस उम्मीदवार के मुताबिक यह कोई साधारण चुनाव नहीं है। दो विचारधाराओं की लड़ाई है और पूरी दुनिया की नजर भारत पर है कि भारत की जनता किस विचारधारा पर अपना भरोसा जताती है। आजादी के बाद कांग्रेस ने देश में सुई से लेकर जहाज का निर्माण किया, लेकिन पिछले 10 साल में मोदी सरकर ने देश के सभी बड़े-बड़े संस्थानों को अपने चंद मित्रों को सौंप दिया। आज महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की बदहाल स्थिति चरम सीमा पर पहुंच चुकी है।
आनंद शर्मा हवाई नेता है, जबकि मैं यहां के लोगों के सुख-दुख में सदैव साथ रहने वाला जमीनी कार्यकर्त्ता हूं। पिछले 10 साल में केन्द्र की मदद से हिमाचल प्रदेश की सूरत बदल गई है। एम्स जैसे संस्थान हों या फिर अटल सुरंग जैसी दर्जनों सुरंगे, माेदी सरकार ने प्रदेश को लगातार आगे बढ़ाया है। - राजीव भारद्वाज, भाजपा उम्मीदवार