नागपुर: 10 गिद्धों की पीठ पर लगाए टैग, पेंच के जंगलों में छोड़े जाएंगे - होगी मॉनिटरिंग
- कॉलर आईडी की तरह करेगा काम
- हर गतिविधि पर नजर रहेगी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. लंबे समय से पेंच के पिंजरे में बंद 10 गिद्धों को इसी माह जंगल में स्वच्छंद भ्रमण के लिए छोड़ा जाएगा। गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उनकी पीठ पर सैटलाइट टैग लगाए गए हैं। वह कहां जाते हैं, क्या खाते हैं और जंगल में कैसे जीवन यापन करते हैं, आदि की पूरी जानकारी मिलेगी, जिसके अध्ययन के बाद इनकी बिरादरी को जतन करने का उपाय निकाल जाएगा।
बचाने के लिए उपाय योजना
देश भर में गिद्धों की संख्या तेजी से कम हो रही है। इन्हें बचाने के लिए उपाय योजना शुरू है। हरियाणा, असम, मध्य प्रदेश, प.बंगाल जैसे राज्य में इनकी ब्रीडिंग कर संख्या बढ़ाई जा रही है। फिलहाल उन्हें विभिन्न जगहों पर छोड़ा जा रहा है, ताकि इनकी संख्या पूर्ववत हो जाए। विदर्भ के जंगलों में भी इनकी संख्या बहुत कम रह गई है। वन विभाग ने विदर्भ के पेंच व ताडोबा के जंगलों में बाहर से गिद्ध लाकर छोड़ने का निर्णय लिया था। बीएनएचएस संस्था ने उनका साथ दिया और गत 20 जनवरी को बाहरी राज्य से नागपुर के पेंच व्याघ्र प्रकल्प में व ताड़ोबा में लंबी चोंच वाले 10 गिद्धों को लाया गया। उन्हें एविअरी में रखा गया था, ताकि यहां उनको प्रशिक्षित किया जा सके।
कॉलर आईडी की तरह करेगा काम
करीब 4 महीने से इन्हें विभिन्न तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं, ताकि जंगल में छोड़ने के बाद यह आसानी से यहां शामिल हो सकें। वर्तमान में इन्हें अलग-अलग वन्यजीवों का मांस खाने के लिए दिया जा रहा है, ताकि जंगल में छोड़ने के बाद यह क्या खाएं और क्या नहीं, इसका खुद निर्धारण कर सकें। इनका प्रशिक्षण लगभग पूरा हो गया है। इसी माह इन्हें जंगल में छोड़ा जाने वाला है। छोड़ने के बाद इन पर नजर रखने के लिए पीठ पर सैटलाइट टैग लगाए गए हैं, जिसका वजन मात्र 50 ग्राम है। यह यंत्र ठीक उसी तरह काम करेगा, जिस तरह बाघ के गले में लगा कॉलर आईडी काम करता है।
हर गतिविधि पर नजर रहेगी
डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, क्षेत्र संचालक, पेंच व्याघ्र प्रकल्प के मुताबिक यहां लाए गए सभी 10 गिद्धों का प्रशिक्षण पूरा हो गया है। कुछ ही दिन में इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा। इनकी पीठ पर सैटेलाइट टैग लगाए गए हैं, जिसके माध्यम से इनकी हर गतिविधि पर नजर रहेगी।