Nagpur News: उपराजधानी में 17 स्कूलों के हजार से ज्यादा बच्चों के दातों में सड़न, मिला इलाज
- 17 स्कूलों के 1138 बच्चों के दातों में सड़न
- पिट एंड फिशर सीलेंट प्रक्रिया से किया इलाज
- एनपीपीसीएफ प्रोग्राम से मिली बच्चों को राहत
Nagpur News : दांतों की सफाई बराबर नहीं हो तो दांतों की बीमारियों के परेशान होना पड़ता है। स्कूली बच्चों में दातों की बीमारियों के मामले बढ़ने लगे हैं। खानपान के बाद दातों की सफाई नहीं करने से नई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। कुछ समय बाद यह समस्या बीमारी बन जाती है। इससे दांतों में सड़न, बदबू होना आम है। बच्चों को स्वस्थ्य रखने सरकार की कई योजनाएं हैं। दातों के मामले में भी नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ फ्लोराेसिस (एनपीपीसीएफ) कार्यक्रम चलाया जाता है। शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के माध्यम से पिछले दो साल से सरकारी कार्यक्रम अंतर्गत 17 स्कूलों के 1138 बच्चों के 1894 सड़नवाले दातों का उपचार किया गया है। इन बच्चों का उपचार पिट एंड फिशर सीलेंट प्रक्रिया से किया गया।
उपचार से पहले अभिभावकों को देनी पड़ती जानकारी
हर साल शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के माध्यम से स्कूली बच्चों का एनपीपीसीएफ अंतर्गत उपचार किया जाता है। उपचार के लिए स्थानीय स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य कर्मी स्कूलों में जाकर बच्चों के दातों की जांच करते हैं। जांच के दौरान उनकी बीमारियों का ब्योरा तैयार किया जाता है। यह ब्योरा संबंधित स्कूल और अभिभावकों को दिया जाता है। इनमें जिन बच्चों के दातों में सड़न होती है, छेद हाेता है, उसकी जानकारी शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल को दी जाती है। यहां के बालदंत चिकित्सा विभाग की टीम द्वारा इसका अध्ययन किया जाता है। अध्ययन के बाद संबंधित तहसील व गांव में जाकर बच्चों का उपचार किया जाता है। उपचार से पहले बच्चों के माता-पिता को सारी जानकारी देनी पड़ती है। उनकी स्वीकृति के बाद ही उपचार किया जाता है।
पिछले साल के मुकाबले इस साल संख्या कम
शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल की टीम ने 2022-23 में 10 स्कूलों के 756 बच्चों का उपचार पिट एंड फिशर सीलेंट पद्धति से किया है। 2023-24 में 7 स्कूलों के 396 बच्चों को उपचार इसी पद्धति से किया गया। 1138 बच्चों के 1894 दातों में सड़न पायी गई थी। इन बच्चों के दातों में छेद हो गया था। वहां सड़न हो चुकी थी। सफाई नहीं होने से यह समस्या पैदा हो गई थी। जहां सड़न थी, वहां तक ब्रश नहीं पहुंच पाने से समस्या बढ़ती जाती है। पिट एंड फिशर सीलेंट पद्धति से सड़नवाले स्थान को पैक किया जाता है। इस तरह सड़न को रोकने का उपचार किया जाता है। पिट एंड फिशर सीलेंट पद्धति के तहत जीआईसी, कंपोजिट, स्कैलिंग, अल्जाइनेट इम्प्रेशन, एक्स्टैक्शन, ब्लिचिंग, रुट कैनल आदि किया जाता है। इसमें सर्वाधिक मरीजों को कंपोजिट करना पड़ा है। बताया जाता है कि दातों की नियमित सफाई न होने से, दातों का भीतरी आकार टेढ़ा-मेढ़ा होने से दातों में सड़न की समस्या पैदा होती है।