Nagpur News: सुराबर्डी तालाब का पानी इंसान ही नहीं जानवरों के भी पीने योग्य नहीं

  • 4 दिसंबर को अगली सुनवाई
  • याचिका में लगाए गंभीर आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-29 07:56 GMT

Nagpur News : अमरावती मार्ग पर सुराबर्डी तालाब परिसर में किए गए अतिक्रमण और कार्रवाई में हो रहे भेदभाव पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने विदर्भ पाटबंधारे विकास महामंडल (वीआईडीसी) को कड़े शब्दों में फटकार लगाई। सर्वे क्रमांक 103 पर लीज पर दी गई जमीन का करार 2015 में खत्म होने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इस पर वीआईडीसी के कार्यकारी संचालक को बुधवार तक जवाब दाखिल करने के आदेश दिए गए। नितिन शेंद्रे ने जनहित याचिका दायर की है। इस प्रकरण में गुरुवार को न्यायमूर्ति नितिन सांबरे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका अनुसार, अमरावती मार्ग पर सुराबर्डी तालाब के पानी के आसपास अतिक्रमण हो रहा है। इस तालाब का पानी प्रदूषित हुआ है और जानवरों को पीने के लिए योग्य नहीं है। फिर भी सुराबर्डी और आसपास के गांवों को इसी तालाब द्वारा जलापूर्ति होती है। यह तालाब 75.39 हेक्टेयर में फैला है। सुराबर्डी ग्राम पंचायत ने बिना अनुमति के तालाब के पास सीमेंट के दो ओटे बनाए हैं। यहां अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके बाद राख तालाब में छोड़ी जाती है। गांव का गंदा पानी भी इसी तालाब में छोड़ा जाता है। इन सब कारणों से तालाब का पानी प्रदूषित हो गया है।

याचिका में कहा गया कि यह पानी सुराबर्डी गांव ही नहीं, बल्कि संपूर्ण शहर के लिए पीने योग्य नहीं है। इस पर न्यायालय ने वीआईडीसी सहित जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पंचायत समिति के पदाधिकारी और गट विकास अधिकारी को जवाब दाखिल करने के निर्देश थे, जिसके बाद यह खुलासा हुआ है। मामले में अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से एड. सुधीर मालोदे ने पक्ष रखा।

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