नागपुर: पांच दिनों से आंदोलन शुरू, सरकार ने नहीं ली सुध, आदिवासी छात्रावास में तालाबंद आंदोलन
- डीबीटी योजना बंद करने की मांग
- छात्रों को दो महीने से भोजन की राशि नहीं मिलने से हो रही परेशानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. आदिवासी छात्रावास में रहने वाले छात्रों को भोजन के लिए डीबीटी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना के तहत सीधे छात्रों के बैंक खातों में राशि स्थानांतरित की जाती है। लेकिन पिछले दो महीने से छात्रों को भोजन की राशि उपलब्ध नहीं कराई गई है। इसलिए छात्रों को हो रही असुविधाओं को लेकर कलमना स्थित आदिवासी छात्रावास में मंगलवार से तालाबंद आंदोलन शुरू किया गया है। "डीबीटी योजना बंद करो, सीधा भोजन शुरू करो' इस मांग को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है। विशेष बात यह है कि, पांच दिनों से यह आंदोलन शुरू होने के बाद भी राज्य सरकार ने इस मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।
डीबीटी योजना क्या है?
आदिवासी छात्र अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और ऐसे छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में सहायता करने के लिए, राज्य सरकार के आदिवासी विकास विभाग ने उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 2016-17 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्वयं डीबीटी योजना नामक एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी छात्रों को भोजन, आश्रय और स्टेशनरी तथा पुस्तकों जैसी शैक्षिक सामग्री जैसी बुनियादी ज़रूरतें प्रदान करना है। इस योजना के तहत पात्र छात्रों के आधार से जुड़े बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं।
क्या हर बार आंदोलन करने पर ही निधि मिलेगी?
तालाबंद आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे आदिवासी विद्यार्थी संघ विदर्भ नागपुर के अध्यक्ष शिवकुमार कोकाडे ने कहा कि, सरकार द्वारा योजना तो शुरू की जाती है, लेकिन उस योजना को सुचारू रूप से चलाने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। इसलिए छात्रों के हित के लिए संगठन को आगे आकर आंदोलन करना पड़ता है। पिछले दो महिनों से छात्रों को भोजन की राशि नहीं मिली तो सरकार को खुद होकर समस्या हल करनी चाहिए। लेकिन हर बार संगठन, छात्रों को आंदोलन करना पड़ता है, तभी उन्हें योजना लाभ और निधि उलपब्ध कराई जाती है। ऐसा कब तक चलेगा? यह सवाल भी कोकाडे ने उठाया।
भोजन को योजना से बाहर रखा जाए
शिवकुमार कोकाडे ने बताया कि, डीबीटी योजना के तहत आदिवासी छात्रों को भोजन, आश्रय और स्टेशनरी तथा पुस्तकों जैसी शैक्षिक सामग्री के लिए राशि उपलब्ध कराई जाती है। अगर दो या तीन महीने तक छात्रों को भोजन के लिए निधि उपलब्ध नहीं हुई तो मेस वालों को पैसे कैसे देंगे और पैसे देने में देरी होने से खाना भी नहीं मिलेगा। छात्र पढ़ाई करें या इन सारी चीजों में उलझे रहें? इसलिए भोजन को डीबीटी योजना से बाहर रखा जाए। इस मांग को लेकर आदिवासी विकास विभाग आयुक्त को भी निवेदन दिया है। लेकिन अब तक प्रशासन ने कोई भी उचित कदम नहीं उठाया है।