कार्यकर्ताओं की बांधी हिम्मत: पार्टी का चुनाव चिन्ह रहे या जाए, घबराने की कोई जरूरत नहीं - पवार
- लोग नेता नहीं बदलते
- पार्टी का चुनाव चिन्ह पर बोले पवार
- रहे या जाए, घबराने की कोई जरूरत नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. एनसीपी के नाम और चुनाव चिन्ह के अधिकार को लेकर शुक्रवार को चुनाव आयोग में शुरु हो रही सुनवाई से पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि पार्टी का चुनाव चिन्ह रहे या जाए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका यह अनुभव है कि लोग नेता नहीं बदलते। क्योंकि 5 बार वे अलग-अलग चिन्ह पर चुनाव लड़े है और जीत भी हासिल की है।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में एनसीपी नेता पवार ने कहा कि चुनाव चिन्ह बदलने की साजिश हो सकती है। चुनाव आयोग का फैसला कुछ भी आए, इससे घबराने की जरुरत नहीं है। देश का माहौल बदल रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को भरोसा दिलाते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल का अधिकार केवल हमें ही है और चुनाव आयोग का फैसला भी हमारे ही पक्ष में आएगा।
अजित पवार का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधते हुए शरद पवार ने कहा कि कुछ लोग पार्टी के नाम और चिन्ह पर अपना दावा कर रहे है। चुनाव आयोग ने इस पर अभी फैसला भी नहीं सुनाया फिर भी कह रहे है कि निर्णय हमारे पक्ष में ही आएगा। मै समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसा किस आधार पर कह रहे है? राकांपा के अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति को गलत ठहरा रहे है, लेकिन उनको मै यह बताना चाहता हूं कि तालकटोरा स्टेडियम में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिन 70 लोगों ने मेरे नाम का प्रस्ताव दिया था उसमें आपके भी हस्ताक्षर थे।
'भाजपा कमल चिन्ह की जगह वाशिंग मशीन ले'
पवार ने कहा कि भाजपा की सत्ता कुछ गिने-चुने राज्यों में ही है। जहां नहीं थी, वहां भाजपा ने गैरकानूनी तरीके से विपक्षी दलों की सरकार गिराकर अपनी सरकार बनाई। भाजपा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि अब लोकसभा के चुनाव आ रहे है। उसने जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप किए उन्हें ही सत्ता में अपने साथ लिया है। इसलिए भाजपा ने अब उनकी पार्टी का कमल चुनाव चिन्ह बदलकर वाशिंग मशीन लेना चाहिए। पवार ने प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली पर भी निशाना साधा। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी रेलवे परियोजना का उद्घाटन करने जाते है, लेकिन उनकी रेल गाड़ी विपक्ष के खिलाफ चल पडती है। काम सरकारी होता है, लेकिन वहां राजनीतिक भाषण करते है। मोदी के पहले तक कोई भी प्रधानमंत्री ऐसा नहीं करते थे।
ईडी और सीबीआई का हो रहा दुरुपयोग
पवार ने अनिल देशमुख और संजय राऊत की गिरफ्तारी पर भी भाजपा को आड़े हाथ लिया। भाजपा ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करके विपक्षी नेताओं को परेशान कर रही है। मणिपुर में कई महीनों से हिंसाचार जारी है, लेकिन प्रधानमंत्री को ऐसा नहीं लगा कि वहां जाए। इंडिया गठबंधन के मुद्दे पर पवार ने कहा कि कुछ दलों में मतभेद है। जैसे बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर मतभेद है। उनको सुझाव दिया है कि दोनों दलों ने विधानसभा चुनाव में जो भूमिका लेनी है वह लें, लेकिन लोकसभा चुनाव में अलग भूमिका लेनी चाहिए। एनसीपी इन दलों को एक साथ लाने के लिए प्रयास करेगी।