Mumbai News: ब्याज माफी के लिए करदाता द्वारा उठाए गए मुद्दों का निपटारा करने से आयकर विभाग इनकार नहीं कर सकता
- अदालत ने आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त द्वारा कंपनी के खिलाफ जारी आदेश को किया रद्द
- आयकर अधिनियम की धारा 234(सी) के तहत अदालत का निर्देश
Mumbai News : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक कंपनी के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा जारी आदेश को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि आयकर के मुख्य आयुक्त को धारा 234 सी के तहत ब्याज माफी के लिए करदाता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए था। अदालत ने आयकर विभाग के द्वारा कंपनी के खिलाफ जारी आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा छूट के लिए दायर याचिका पर नए सिरे से विचार करने के लिए कार्यवाही को वापस भेज दिया, जिससे उसके गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जा सके। न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत एम.सेथना की पीठ ने ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड की दायर याचिका पर कहा कि आयकर के मुख्य आयुक्त का ऐसा दृष्टिकोण याचिकाकर्ता (करदाता) द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण तर्कों पर विचार न करने को दर्शाता है। पीठ ने स्वीकार किया कि महामारी के कारण याचिकाकर्ता की कुल आय और उसके राजस्व पर गंभीर वित्तीय बाधाएं और प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। आयकर विभाग के विवादित आदेश में महामारी के कारण ब्याज की छूट पर याचिकाकर्ता के प्राथमिक प्रस्तुतिकरण पर कहीं भी विचार नहीं किया गया है।
क्या है पूरा मामला
याचिकाकर्ता का दावा है कि उसने 365 करोड़ 12 लाख 48 हजार 710 रुपए की आय घोषित करते हुए अपना रिटर्न दाखिल किया, जिसमें 1157 करोड़ 63 लाख 40 हजार 425 रुपए का बुक प्रॉफिट और 3 करोड़ 88 लाख 59 हजार 353 रुपए के ब्याज सहित 206 करोड़ 3 लाख 13 हजार 939 रुपए का कुल कर शामिल है। याचिकाकर्ता ने रिटर्न दाखिल करते समय 171 करोड़ रुपए का कुल अग्रिम कर और 3 करोड़ 88 लाख 59 हजार 353 रुपए का कुल ब्याज चुकाया है। इसलिए याचिकाकर्ता ने धारा 234सी के तहत लगाए गए ब्याज को माफ करने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया, जिसे आयकर विभाग ने खारिज कर दिया गया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।