Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 10 फीसदी मराठा आरक्षण पर उठाए सवाल, 5 दिसंबर को अगली सुनवाई

  • अदालत ने सरकार से 50 फीसदी कोटा सीमा के उल्लंघन का औचित्य पूछा
  • राज्य सरकार के 10 फीसदी मराठा आरक्षण पर उठाए सवाल

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-20 16:26 GMT

Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के 10 फीसदी मराठा आरक्षण पर उठाते हुए कहा कि मराठा समुदाय के पिछड़ेपन को दिखाने के अलावा, महाराष्ट्र सरकार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 फीसदी की सीमा के उल्लंघन का औचित्य बताना होगा। 5 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय, न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मराठा समुदाय को आरक्षण देने का औचित्य बताने को कहा है। सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग श्रेणी के तहत समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला कानून महाराष्ट्र विधानमंडल द्वारा इस साल 20 फरवरी को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सुनील बी शुक्रे की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसएसबीसीसी) की रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया था। राज्यपाल की अधिसूचना 26 फरवरी को जारी की गई थी। इस आदेश को चुनौती देने और समर्थन करने के लिए कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अपनी दलील में कहा कि राज्य सरकार को ऐसे समुदाय को आरक्षण देने से कोई नहीं रोक सकता, जिसका सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जयश्री पाटिल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विश्लेषण करने का प्रयास किया है, जिसके द्वारा शीर्ष अदालत ने 2018 में मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिया था। उस त्रुटियों को दूर किया गया है। राज्य सरकार ने पहले दो मौकों पर समुदाय को आरक्षण दिया है। 2014 में अदालत ने सरकार को आरक्षण के साथ आगे बढ़ने से रोक दिया था, जबकि 2018 में इसने अधिवक्ता जयश्री पाटिल की याचिका पर आरक्षण को रद्द कर दिया था।

महाधिवक्ता सराफ ने पीठ को बताया कि एमएसबीसीसी ने समुदाय के पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए सर्वेक्षण कैसे किया? इस पर अदालत ने कहा कि अन्य चीजें पीछे छूट जाएंगी और राज्य को आरक्षण के लिए 50 फीसदी कोटा का उल्लंघन करने का औचित्य साबित करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने इंद्रा साहनी मामले में कहा था कि किसी भी राज्य में कुल कोटा 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। सराफ ने जवाब दिया कि पहले समुदाय के पिछड़ेपन का निर्धारण किया जाना चाहिए। एक बार (पिछड़ापन) निर्धारित हो जाने के बाद देखें कि क्या सीमा का उल्लंघन किया जा सकता है? सिर्फ इसलिए कि कुछ (राज्य के) मुख्यमंत्री किसी विशेष समुदाय से हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि पूरा समुदाय पिछड़ा नहीं है। महाराष्ट्र में 12 मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से थे, जिनमें वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार शामिल हैं।

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