तैयारी: दिव्यांगों के लिए अलग विश्वविद्यालय का होगा गठन

विचार के लिए बनाई गई 15 सदस्यीय समिति

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-23 14:18 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई । राज्य सरकार दिव्यांगों के लिए अलग विश्व विद्यालय स्थापित करने पर विचार कर रही है। इससे जुड़े सभी पहलुओं के अध्ययन के लिए राज्य सरकार ने संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ मुरलीधर चांदेकर की अगुआई में 15 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति से कुल 13 मुद्दों का अध्ययन कर इससे जुड़ी रिपोर्ट सौपने को कहा गया है। समिति को यह भी विचार करने को कहा गया है कि क्या राज्य में दिव्यांगों के लिए अलग विश्वविद्यालय की जरूरत है और इससे वे सामान्य विद्यार्थियों से खुद को अलग तो नहीं महसूस करेंगे। राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने समिति गठित करने से जुड़ा शासनादेश जारी किया है। दरअसल सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि लगातार मांग कर रहे थे कि दिव्यांग विद्यार्थियों के अध्ययन, अध्यापन और मूल्यांकन के लिए अलग तौर तरीकों की जरूरत है। साथ ही दिव्यांगों के लिए उच्च शिक्षा के आसाम मौके उपलब्ध कराने के लिए अलग विश्वविद्यालय की मांग की जा रही है जिस पर विचार के लिए अब समिति गठित की गई है। बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक महाराष्ट्र में 29 लाख 63 हजार 292 दिव्यांग हैं जिनमें से बड़ी संख्या में ऐसे युवक हैं जो उच्च शिक्षा हासिल कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहते हैं। 

इन मुद्दों पर समिति करेगी विचार

दिव्यांग राज्यभर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य विद्यार्थियों के साथ उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। ऐसे में क्या उनके लिए स्वतंत्र दिव्यांग विश्वविद्यालय की जरूरत है?

दिव्यांग विश्वविद्यालय बनाने के लिए कौन की जगह उपयुक्त होगी और इसके लिए कितनी जमीन और निर्माणाकार्य करना होगा?

विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कितना खर्च आएगा। शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी कितने लगेंगे?

विश्वविद्यालय के लिए कौन-कौन से विभाग बनाने होंगे और इसकी रुपरेखा कैसी होगी?

द राइट्स ऑफ पर्सन विथ डिसेबिलिटीज एक्ट दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सर्वसमावेशी शिक्षा की वकालत करता है, क्या अलग विश्वविद्यालय से दिव्यांगों में सामान्य विद्यार्थियों के अलग-थलग किए जाने की भावना तो नहीं पनपेगी?

विश्वविद्यालय में शिक्षा के बाद विद्यार्थियों के पास रोजगार के क्या विकल्प होंगे?

अलग विश्वविद्यालय बनाने के बजाय मौजूदा विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र विभाग बनाना क्या बेहतर विकल्प है?

क्या दिव्यांग विश्वविद्यालय को दूसरे विश्वविद्यालयों से संलग्न किया जाना चाहिए या इसे अलग काम करना चाहिए?

अगर दूसरे राज्यों में दिव्यांग विश्वविद्यालय बनाए गए हैं तो उनकी स्थिति क्या है?

नई शिक्षा नीति से मुताबिक किस तरह दिव्यांग विश्वविद्यालय के लिए किस तरह के पाठ्यक्रम तैयार किए जाने चाहिए?

ये होंगे सदस्यों में

समिति का अध्यक्ष मुरलीधर चांदेकर को बनाया गया है जबकि 15 सदस्यों में साहस डिसएबिलिटी रिसर्च एंड केयर फाउंडेशन, कोल्हापुर की अध्यक्ष नसीमताई हूरजुक, संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तुषार देशमुख भी शामिल हैं।

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