सरकारी आश्रम स्कूलों के विद्यार्थियों को अब स्कूल और नाइट ड्रेस के लिए डीबीटी से नहीं मिलेगी नकदी

  • आदिवासी विकास विभाग ने वस्तुओं के खरीदी के लिए पुरानी टेंडर प्रक्रिया लागू करने का लिया फैसला
  • सरकारी आश्रम स्कूलों के विद्यार्थियों को अब स्कूल और नाइट ड्रेस के लिए डीबीटी से नहीं मिलेगी नकदी
  • टेंडर से खरीदी में लग चुके हैं घोटाले के आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-31 14:55 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. प्रदेश के सरकारी आदिवासी आश्राम स्कूलों के विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस सेट, नाईट ड्रेस, स्कूल सामग्री और स्टेशनरी के लिए अब डीबीटी के जरिए नकदी नहीं मिलेगी। इसके बजाय सरकार ने नाशिक के आदिवासी आयुक्त को संबंधित वस्तुओं को टेंडर प्रक्रिया द्वारा खरीदने की मंजूरी दी है। इससे विद्यार्थियों को नकदी के बजाय पहले की तरह सीधे वस्तुएं दी जाएंगी। सोमवार को प्रदेश सरकार के आदिवासी विकास विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। सरकार ने कहा है कि बैंकों के विभिन्न प्रकार का नियम अनिवार्य किए जाने से व्यापक जनहित को देखते हुए स्कूली शिक्षा विभाग ने स्कूल ड्रेस को डीबीटी प्रक्रिया से स्थायी रूप से हटा दिया है। सरकारी आदिवासी आश्रम स्कूलों के सभी विद्यार्थी एक समान नजर आए। इसके लिए शर्ट, पैंट, बूट, पीटी ड्रेस, पीटी शुज और मोजे में समानता होना अनिवार्य है। इसके मद्देनजर स्कूल ड्रेस, पीटी ड्रेस, पीटी शुज और मोजे, नाईट ड्रेस, स्कूल सामग्री और स्टेशनरी का लाभ डीबीटी प्रक्रिया से स्थायी रूप से हटाने का फैसला लिया गया है। इससे अब सरकारी आश्रम स्कूलों के लिए आदिवासी विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति उक्त वस्तुओं की खरीदी टेंडर प्रक्रिया के जरिए करने के लिए मंजूरी देगी।

टेंडर से खरीदी में लग चुके हैं घोटाले के आरोप

सरकार के द्वारा अचानक डीबीटी के बजाय टेंडर प्रक्रिया लागू करने के फैसले पर विवाद होने के आसार हैं। क्योंकि पहले टेंडर से खरीदी में घोटाले के आरोप लग चुके हैं। टेंडर के जरिए खरीदी गई वस्तुओं की गुणवत्ता खराब होने का भी आरोप लग चुके हैं। जिसके बाद पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार ने पारदर्शिता लाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) लागू करने का फैसला लिया था।


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