चेतावनी: राज्य सरकार सूखे की स्थिति पर कदम उठाए, नहीं तो मुझे संघर्ष करना पड़ेगा- शरद पवार
- पवार ने सीएम शिंदे को पत्र लिखकर दी चेतावनी
- शरद पवार ने कहा जल्द उठाए कदम
डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र के कई जिलों में सूखे के हालात काफी विकट होते जा रहे हैं। यहां तक कि सूखाग्रस्त इलाकों में लोगों के लिए पीने के पानी से लेकर पशुओं के चारे की समस्या पैदा हो गई है। इस बीच राकांपा (शरद) अध्यक्ष शरद पवार ने सूखे की स्थिति को देखते हुए आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। पवार ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार ने सूखे को लेकर तत्काल कदम नहीं उठाए तो फिर उन्हें संघर्ष का रुख अपनाना पड़ेगा।
पवार ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि सरकार राज्य में पड़ रहे सूखे की स्थिति पर तेजी से काम करती हुई नहीं दिख रही है। सूखे की स्थिति को लेकर मैंने 24 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य में पड़ रहे सूखे से राज्य सरकार को अवगत कराया था। उस समय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे संभाजीनगर के दौरे पर थे, लेकिन वहां मुख्यमंत्री ने जो बैठक की थी उससे कई लोकप्रतिनिधि और मंत्री गैरहाजिर थे। इसको लेकर शिंदे को कड़ा रुख अपनाना चाहिए था। पिछले 10 दिनों मे राज्य की स्थिति और खराब हुई है। मराठवाड़ा से लेकर उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ के कई जिलों में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है।
पवार ने कहा कि पिछले वर्ष जहां सिर्फ एक हजार एक सौ टैंकरों के जरिए पानी की सप्लाई की जा रही थी। वहीं अब इसकी संख्या 11 हजार से ऊपर पहुंच गई है। जानवरों को चारा और पानी मिलना कठिन हो गया है, जिससे पशु खतरे में आ गए हैं। इसके अलावा पानी के बगैर खेत बागान भी सूखते जा रहे हैं। राज्य सरकार ने सूखे को लेकर अभी तक कोई नया फैसला नहीं लिया है, यह बहुत दुखद है। पवार ने मुख्यमंत्री शिंदे को चेतावनी देते हुए कहा है कि सूखे के हालात को लेकर हम राज्य सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं। लेकिन अगर सरकार ने सूखे को लेकर जल्द कदम नहीं उठाए तो फिर उन्हें संघर्ष का रुख अपनाना पड़ेगा। पवार की चेतावनी पर शिंदे गुट के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि जब कांग्रेस-राकांपा की सरकार थी तो राज्य में सबसे ज्यादा किसानों की आत्महत्या हुई थी। ऐसे में पवार को कोई भी स्टंटबाजी करने से पहले अपनी सरकार के कार्यकाल को भी याद रखना चाहिए।