मराठा आरक्षण आंदोलन: राज्य सरकार अदालत के कंधे से चला रही गोली, मनोज जरांगे-पाटील के वकीलों की दलील

  • अदालत ने आंदोलन के हिंसक नहीं होने को लेकर मांगा जवाब
  • मनोज जरांगे-पाटील के वकीलों ने अदालत में दी दलील
  • जरांगे-पाटील के वकीलों ने शनिवार को मराठा आरक्षण आंदोलन के शांतिपूर्ण रहने का दिया आश्वासन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-23 15:37 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे-पाटील के वकीलों ने बॉम्बे हाई कोर्ट को आश्वासन दिया है कि शनिवार को राज्य में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा और कोई कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं होगी। अदालत ने उनसे (जरांगे-पाटील) आंदोलन के हिंसक नहीं होने को लेकर 26 फरवरी को जवाब देने का निर्देश दिया है। इससे पहले 26 जनवरी को जरांगे-पाटील के विरोध प्रदर्शन के दौरान दायर याचिकाएं 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई थीं। गुरुवार को राज्य सरकार ने अदालत का रुख करते हुए इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की।

न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने शुक्रवार को जरांगे-पाटील के वकील वी.एम.थोरात को यह बयान देने का निर्देश दिया कि शनिवार को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा। थोरात ने पहले इससे इनकार कर दिया कि विरोध का आह्वान अकेले जरांगे-पाटील ने नहीं किया है, बल्कि मराठा आंदोलन समिति ने किया था। इस पर राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि उन्होंने (जरांगे-पाटील) ने फिर से रास्ता रोको का आह्वान किया है और लोगों से अपने विवाह जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से भी बचने के लिए कहा है। यह अराजकता पैदा करने की स्थिति है। वह कुछ ऐसी मांग कर रहे है, जिसके लिए नियम बनाए गए हैं। राज्य नियमों से बंधा है और नियमों के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने फिर से विरोध करने की धमकी दी है और यह नहीं हो सकता है। जरांगे-पाटील के वकील थोरात ने मूल याचिकाकर्ता गुणरत्न सदावर्ते के बजाय तत्काल सुनवाई के लिए सरकार के कदम उठाने पर आपत्ति जताई।

थोरात ने कहा कि सरकार अदालत के समक्ष इस तरह की दलील कैसे दे सकता है? याचिकाकर्ता यह कह सकते हैं, लेकिन सरकार नहीं। जबकि याचिका जरांगे-पाटील के स्वास्थ्य के आधार पर दायर की गई थी। अब सरकार इसमें कानून और व्यवस्था समेत अन्य बातें कर रही है। यह पहली बार है कि सरकार असहाय दिख रही है। अगर कुछ भी गलत होता है, तो राज्य शक्तिहीन नहीं है। महाधिवक्ता सराफ ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अदालत को यह दर्ज करने दें कि कानून-व्यवस्था की कोई समस्या नहीं होगी। यदि यह है, तो राज्य उपाय कर सकता है। इस पर थोरात ने कहा कि सरकार अदालत के कंधे से गोली चला रही है। यह सरकार का एक नया तरीका है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 26 फरवरी को रखा है।

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