हाई रिस्क पर हो रही है हजारों रेल यात्रियों की सुरक्षा, हथियार धारक जवानों का नहीं होता कोई स्ट्रेस टेस्ट
- हाई रिस्क पर सुरक्षा
- जवानों का नहीं होता कोई स्ट्रेस टेस्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सुजीत गुप्ता। मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में जिन आरपीएफ जवानों को हजारों रेल यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है, उन जवानों का रेलवे कभी स्ट्रेस टेस्ट चेक कराती ही नहीं है। जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में हुई ताजा घटना यही दर्शाती है। चेतन सिंह पिछले कई महीनों से मानसिक यातना से गुजर रहा था, उसके बारे में रेलवे को रत्तीभर भनक तक नहीं लगी। वहीं, चेतन के परिवार वालों ने हाथरस में जानकारी दी है कि उनका मानसिक इलाज भी चल रहा था। रेलवे विभाग यदि समय पर जवानों का स्ट्रेस चेक करता, तो शायद यह घटना नहीं होती। दैनिक भास्कर की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है। 14 घंटे की ड्यूटी, जवानों का छलका दर्द आरपीएफ के कई जवानों से दैनिक भास्कर ने कई जवानों से बात की। उन्होंने नाम जाहिर न करते हुए बताया कि उनकी पांच साल से अधिक की ड्यूटी हो गई है, लेकिन आज तक स्ट्रेस को लेकर हमारी ऐसी कोई जांच नहीं की गई है। एक आरपीएफ जवान ने बताया कि ट्रेन एस्कॉर्टिंग के दौरान करीब 14 घंटे की ड्यूटी हो जाती है। ड्यूटी पर आने से पहले हथियार लेने के लिए एक-डेढ़ घंटे पहले पोस्ट पर आना होता है। उसके बाद ट्रेन में मुंबई से सूरत साढ़े पांच घंटे की एस्कॉर्टिंग, सूरत पहुंचने के बाद दोबारा पोस्ट पर हथियार जमा करना पड़ता है। इसके बाद तीन-चार घंटे का रेस्ट मिलता है। रेस्ट के बाद फिर हथियार लेने के लिए पोस्ट पर जाओ, सारी प्रक्रिया पूरी करने में करीब एक घंटे का समय चला जाता है। हथियार लेने के बाद फिर में 6 घंटे की एस्कॉर्टिंग कर पोस्ट पर आओ और हथियार जमा करो। एस्कॉर्टिंग की इस ड्यूटी में आधे से ज्यादा समय निकल जाता है।
4 घंटे में कहां से पूरी होगी नींद
ड्यूटी कर बैरक में आने पर फ्रेश होने, अपने कपड़े धोने, भोजन करने आदि की इस पूरी दिनचर्या में 20 घंटे का समय निकल जाता है। बाकी के बचे 4 घंटे में कहां से नींद पूरी होगी। यह क्रम लगातार एक सप्ताह, 12-15 दिनों तक चलता रहता है। ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि एक दिन एस्कॉर्टिंग की ड्यूटी के बाद 12 घंटे का आराम मिले। इस तरह की लगातार रूटीन होने से जाहिर सी बात है कि जवान की मानसिक स्थिति जवाब दे ही देगी।
मानसिक स्ट्रेस की जांच होनी चाहिए
एक अन्य आरपीएफ जवान ने बताया कि राजधानी और अगस्त क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन में एस्कॉर्टिंग की यह ड्यूटी वड़ोदरा तक होती है। ऐसे में इन ट्रेनों में एस्कॉर्टिंग की ड्यूटी करीब 17-18 घंटे की हो जाती है। एक सेवानिवृत्त आरपीएफ जवान ने बताया कि यदि कोई जवान ट्रेन एस्कॉर्टिंग करता है, तो उसके मानसिक स्ट्रेस की जांच होनी चाहिए, ताकि यात्रियों के सुरक्षा के लिए जवान को हथियार देने से पहले यह अंदाजा लगाया जा सके कि जिस जवान को हथियार दिया जा रहा है, वह हथियार के साथ-साथ अपनी और यात्रियों की सुरक्षा करने की मनोस्थिति में है भी या नहीं।
परिवार को मिला मुआवजा
पश्चिम रेलवे ने सोमवार को फायरिंग में मारे गए तीन यात्रियों में से दो यात्री-असगर अब्बास अली और अब्दुल कादर मोहम्मद हुसैन के परिवार वालों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया।
रेलवे ने गठित की हाई लेवल कमेटी
जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में हुई फायरिंग की घटना के बाद जीआरपी ने एसआईटी गठित की है। इस मामले में अब रेलवे ने भी 5 सदस्यों की समिति गठित की है। इस जांच कमेटी में प्रिंसिपल चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर (पीसीएससी, पश्चिम रेलवे)- पी. सी. सिन्हा, पीसीएससी, मध्य रेलवे-अजोय सदनी, पीसीसीएम एनडब्ल्यूआर-नरसिंह, पीसीएमडी एनसीआर डॉ. जे. पी. रावत, पीसीपीओ डब्ल्यूसीआर- प्रभात शामिल हैं।