नतीजे: वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रकाश आंबेडकर का इस चुनाव में नहीं चला सिक्का

  • आघाडी के चार उम्मीदवार वीबीए की वजह से हारे
  • आंबेडकर का इस चुनाव में नहीं चला सिक्का
  • वंचित के समर्थन का असर भी हुआ

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-06 15:45 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, सोमदत्त शर्मा। पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा की हार में मुख्य भूमिका वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने निभाई थी। कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को सीधे तौर पर 12 सीटों पर वीबीए की वजह से नुकसान हुआ था। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में आंबेडकर का सिक्का नहीं चला। वीबीए की वजह से महाविकास आघाडी को सिर्फ चार सीटों पर ही झटका लगा है। इसके अलावा पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में वीबीए को 27 लाख कम वोट मिले हैं। आंकड़ों से साफ होता है कि राज्य की जनता ने इस चुनाव में वंचित बहुजन आघाडी को नकार दिया है।

राज्य की जिन चार सीटों पर महाविकास आघाडी के उम्मीदवारों को हार मिली है, उनमें अकोला, बुलढाणा, हातकणंगले और उत्तर-पश्चिम मुंबई की सीट शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि अकोला से आंबेडकर खुद चुनाव मैदान में थे और यहां पर कांग्रेस के अलावा भाजपा के उम्मीदवार के साथ त्रिकोणीय मुकाबला था। अकोला में आंबेडकर को 2 लाख 76 हजार 747 वोट मिले, जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार अभय पाटील महज 40 हजार 626 वोटों से चुनाव हार गए। अगर आंबेडकर महाआघाडी के उम्मीदवार होते तो उनकी जीत होती या फिर आंबेडकर ने आघाडी के उम्मीदवार का समर्थन किया होता तो फिर कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिल जाती।

बुलढाणा में भी उद्धव गुट के नरेंद्र खेडेकर महज 29 हजार 479 वोटों से चुनाव हार गए। जबकि वहां आंबेडकर के उम्मीदवार वसंतराव मगर को 98 हजार से ज्यादा वोट मिले। अगर यहां से वंचित का उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं होता तो फिर उद्धव गुट के उम्मीदवार की जीत तय थी। ऐसा ही हातकणंगले में भी देखने को मिला। यहां से उद्धव के उम्मीदवार सत्यजित पाटील सिर्फ 13 हजार 426 वोटों से चुनाव हार गए थे। जबकि यहां से वंचित के उम्मीदवार को 32 हजार 696 वोट मिले थे। मुंबई की उत्तर-पश्चिम सीट से उद्धव गुट के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर महज 48 वोटों से चुनाव हार गए थे। जबकि इसी सीट से वंचित के उम्मीदवार परमेश्वर रणछोड़ को 10 हजार से ज्यादा वोट मिले। अगर यहां भी वंचित ने महाविकास आघाडी को समर्थन दिया होता तो फिर तस्वीर कुछ और देखने को मिलती।

वंचित के समर्थन का असर भी हुआ

इस लोकसभा चुनाव में वंचित बहुजन आघाडी ने सांगली, कोल्हापुर, बारामती और नागपुर लोकसभा सीटों पर आघाडी का समर्थन किया था। इनमें से कोल्हापुर, बारामती और सांगली की सीट पर महाआघाडी और निर्दलीय को जीत मिली, जबकि नागपुर में महायुति के उम्मीदवार को जीत मिले। राज्य में अगर महाविकास आघाडी को आंबेडकर का साथ मिलता तो आघाडी 35 से ज्यादा सीटें जीत सकती थी। इसके साथ ही इस लोकसभा चुनाव में वीबीए के वोटों का आंकड़ा भी काफी घट गया है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वंचित को जहां 41 लाख 32 हजार 446 वोट मिले थे। वहीं इस चुनाव में यह आंकड़ा 14 लाख 15 हजार 76 वोट पर पहुंच गया है। इसका मतलब साफ है कि इस लोकसभा चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में आंबेडकर की पार्टी को 27 लाख से ज्यादा वोटों का नुकसान हुआ है।

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