बॉम्बे हाईकोर्ट: आईईडी विस्फोट मामले में कथित नक्सली नेता सत्यनारायण रानी को बरी करने की याचिका की खारिज
- गडचिरोली में 2019 में आईईडी विस्फोट में 15 पुलिसकर्मियों की हत्या का मामला
- हाई कोर्ट ने रानी को 2022 में दी थी जमानत
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने गडचिरोली में 2019 में आईईडी विस्फोट में 15 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में कथित नक्सली नेता सत्यनारायण रानी को बरी करने की याचिका की खारिज दी। उन पर 1 मई 2019 को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में हुए आईईडी विस्फोट में 15 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। अदालत ने उन्हें 2022 में जमानत दी थी। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ के समक्ष सत्यनारायण रानी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। रानी की ओर से पेश हुए वकील युग मोहित चौधरी ने कहा कि आरोपी पर लगे आरोप बेहद गंभीर प्रकृति के हैं। अगर वह दोषी पाया जाता है, तो उसे मौत की सजा भी हो सकती है। जांच एजेंसी द्वारा दायर किसी भी आरोपपत्र में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। किसी भी गवाह ने अपने बयानों में उनका जिक्र तक नहीं किया है। अभियोजन पक्ष द्वारा कुछ दस्तावेज सौंप कर इसे बदलना की कोशिश की जा रही है। निचली अदालत ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना जांच एजेंसी द्वारा सौंपे दस्तावेज को स्वीकार कर लिया। जब रानी की जमानत पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, तब भी एजेंसी ने ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन पीठ ने इसकी अनुमति नहीं दी। कथित तौर पर अतिरिक्त दस्तावेजों से पता चलता है कि रानी द्वारा नक्सल साजिशकर्ता के रूप में इस्तेमाल किए गए उप नामों में से एक नाम किरण था, जो एनआईए द्वारा आरोपी के खिलाफ पेश किए गए नए सबूतों पता चलता है। एनआईए की ओर से पेश वकील अरुणा पई ने बताया कि ये दस्तावेज एल्गर परिषद मामले से जुड़े हैं, जहां पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत बयान दर्ज किए थे। इसमें फोटो पहचान पत्र भी है, जो यह दर्शाता है कि सत्यनारायण रानी का उप नाम किरण है।
मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण देने का मामला- महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग हलफनामा दाखिल करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से मांगा समय
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट में बुधवार को मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई टल गयी। महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अदालत से हलफनामा दाखिल करने की समय की मांग की। अदालत ने आयोग को 26 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। 5 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी।मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय, न्यायमूर्ति गिरीश एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बुधवार को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से ऑनलाइन पेश हुए वकील ने कहा कि आयोग को जनहित याचिका की कापी नहीं मिली है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को याचिका की कापी उपलब्ध करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ताओं ने जनहित याचिका में आयोग को पार्टी बनाया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील शुक्रे की लिखित रिपोर्ट में मराठा समुदाय के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करने की बात कही गई है