Mumbai News: इस चुनाव में शिवसेना के गढ़ में उद्धव-शिंदे गुट का शक्ति परीक्षण, सगे भाई लड़ रहे चुनाव

  • सिंधुदुर्ग व रत्नागिरी, इन दो जिलों में हैं 8 सीट,
  • पिता की हार का बदला ले पाएंगे निलेश राणे ?

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-17 12:57 GMT

Mumbai News : सटा महाराष्ट्र का कोंकण विभाग अपने खूबसूरत समुद्र तटों, पहाड़ी व समुद्री किलों, हरे-भरे वातावरण, मछली, हापुस आम और काजू के बगीचों के लिए जाना जाता है। जब बात राजनीतिक वर्चस्व की आती है, तो यहां लड़ाई भयंकर हो जाती है। कोंकण शिवसेना का गढ़ रहा है। शिवसेना से अलग होने के बाद से नारायण राणे के लगातार उद्धव की शिवसेना को चुनौती देते रहे हैं। इस बार राणे खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं, पर उनके दोनों बेटे-निलेश और नीतेश इस विधानसभा चुनाव में उतरे हैं। दोनों जूनियर राणे का मुकाबला उद्धव की शिवसेना के उम्मीदवारों से है। सबसे दिलचस्प यह कि दोनों जिलों में सिर्फ 8 विधानसभा सीट हैं। इनमें चार पर चार सगे भाई ही चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री राणे के छोटे बेटे नीतेश भाजपा तो बड़े बेटे निलेश शिवसेना (शिंदे) के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। जबकि राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत रत्नागिरी सीट से तो उनके भाई किरण सामंत राजापुर से चुनाव मैदान में हैं। शिवसेना की स्थापना से मुंबई के अलावा कोंकण विभाग के दो जिलों रत्नागिरी व सिंधुदुर्ग में पार्टी का वर्चस्व रहा है। पर नारायण की शिवसेना से बगावत के बाद पार्टी को कोंकण में झटका लगा था। राणे फिलहाल भाजपा में हैं।

पार्टी नहीं उम्मीदवार महत्वपूर्ण

रत्नागिरी सीट से राज्य के मौजूदा मंत्री उदय सामंत चार बार विधायक चुने गए हैं। दो बार राकांपा से तो दो बार शिवसेना के टिकट पर विधानसभा पहुंचे। वे पांचवीं बार शिवसेना (शिंदे) उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से मैदान में हैं। उनका मुकाबला शिवसेना (उद्धव) उम्मीदवार बाल माने से है। माने पुराने भाजपाई रहे हैं। वे 1999 में इस सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। सामंत और माने तीसरी बार आमने सामने हैं। यह सीट शिंदे गुट के पास चली गई इसलिए माने उद्धव के साथ हो लिए। स्थानीय लोगों से बातचीत का लब्बोलुआब यही है कि इस विधानसभा क्षेत्र में सामंत का वर्चस्व है। बतौर उद्योग मंत्री उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र में काम भी किया है। यहां पार्टी नहीं उम्मीदवार महत्वपूर्ण है।

कोई लहर नहीं, स्थानीय मुद्दों पर चर्चा

रत्नागिरी की वरिष्ठ पत्रकार जाह्नवी पाटील कहती हैं कि कोंकण बालासाहेब का सबसे मजबूत किला रहा है। यहां के लोग धनुष बाण (शिवसेना का चुनाव चिन्ह) से विशेष लगाव रखते हैं। इस चुनाव में कोई लहर नहीं है। स्थानीय मुद्दे और उमीदवार महत्वपूर्ण हैं। दोनों गुट में कड़ा मुकाबला दिखाई दे रहा है। पर शिंदे गुट बीस जान पड़ रहा। महिलाओं में ‘लाडली बहना योजना’ का भी असर है। रत्नागिरी के एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि कोंकण के इन दो जिलों में शिंदे गुट मजबूत दिखाई दे रहा है। यहां उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति का भाव नहीं दिखता।

शिवसेना बनाम शिवसेना

सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी जिले की 8 सीटों में से 6 सीट पर महायुति में शिवसेना (शिंदे) के उम्मीदवार मैदान में हैं। जबकि एक-एक सीट भाजपा और राकांपा (अजित) के हिस्से आई है। इसी तरह महाविकास आघाडी में 7 सीट शिवसेना (उद्धव) के हिस्से और एक सीट राकांपा (शरद) को मिली है। यहां 6 सीटों पर दोनों शिवसेना के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। दोनों जिलों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है।

पिता की हार का बदला ले पाएंगे निलेश राणे ?

सिंधुदुर्ग जिले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर पूर्व मुख्यमंत्री नारायण के दोनों सुपुत्र चुनाव मैदान में हैं। कणकवली से मौजूदा विधायक नीतेश राणे भाजपा के टिकट पर तो कुडाल से निलेश राणे शिवसेना (शिंदे) के उम्मीदवार हैं। 2014 के चुनाव में वैभव नाईक ने नारायण राणे (भाजपा) को इस सीट पर हराया था। इस बार नाईक का मुकाबला राणे के बड़े बेटे निलेश से है। देखना दिलचस्प होगा कि बेटा पिता की हार का बदला ले पाएगा?

ये प्रत्याशी हैं आमने-सामने

रत्नागिरी: बाल माने (शिवसेना-उद्धव) -उदय सामंत (शिवसेना-शिंदे)

दापोली: संजय कदम (शिवसेना-उद्धव) -योगेश कदम (शिवसेना-शिंदे)

गुहागर: भास्कर जाधव (शिवसेना-उद्धव) -राजेश बेंडल (शिवसेना-शिंदे)

राजापुर: राजन सालवी (शिवसेना-उद्धव) -किरण सामंत (शिवसेना-शिंदे)

कुडाल: वैभव नाईक (शिवसेना-उद्धव) -निलेश राणे (शिवसेना-शिंदे)

सावंतवाड़ी: राजन तेली (शिवसेना-उद्धव) -दीपक केसरकर (शिवसेना-शिंदे)

चिपलून: प्रशांत यादव (राकांपा-शरद) शेखर निकम (राकांपा अजित) कणकवली: संदेश पारकर (शिवसेना-उद्धव) नीतेश राणे (भाजपा) 

 

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