बॉम्बे हाईकोर्ट: अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर वसई विरार महानगरपालिका को नोटिस
- नालासोपारा में आदिवासियों की भूमि पर अवैध निर्माण
- अदालत ने तीन सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का दिया निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने नालासोपारा में आदिवासियों की भूमि पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर वसई-विरार महानगरपालिका (वीवीएमसी) को नोटिस जारी किया है। अदालत ने वीवीएमसी को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता में दावा किया गया है कि आदिवासियों की भूमि को गैर आदिवासी को नहीं बेची जा सकती है। इसके बावजूद आदिवासियों की खेती की भूमि फर्जी कागजात बनाकर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं।
न्यायमूर्ति सोनक और न्यायमूर्ति कमल खता की पीठ के समक्ष वृद्धा मंदा पांडुरंग की ओर से वकील एजाज नकवी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने वीवीएमसी से पूछा कि वह नालासोपारा के पेल्हार इलाके में आदिवासियों की भूमि पर अवैध निर्माण को तोड़फोड़ के लिए 48 घंटे के अपने सैकड़ों नोटिस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? अदालत ने वीवीएमसी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के वकील एजाज नकवी ने दलील दी कि 78 वर्षीय याचिकाकर्ता एक आदिवासी परिवार से हैं। उन्हें 1972 से राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों द्वारा आबाद के रूप में सीमांकित भूमि को निवास के उद्देश्य से आवंटित किया गया है।
वह और उनके रिश्तेदार 20 एकड़ 3 गुंठा की भूमि के सह मालिक हैं। उनकी आवंटित आदिवासी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर निर्माण किया गया है। जबकि जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना आदिवासी की भूमि को गैर-आदिवासी को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। उनकी भूमि पर अवैध निर्माण के लिए वीवीएमसी अधिकारियों को भारी रिश्वत दी गई। याचिकाकर्ता ने अवैध निर्माण के खिलाफ वीवीएमसी और मीरा भायंदर वसई विरार (एमबीवीवी) पुलिस आयुक्तालय के अंतर्गत पेल्हार पुलिस स्टेशन में शिकायत की, लेकिन अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।