भारत में मिलान पेरिस से आता है फैशन का नया ट्रेंड

  • फैशन का नया ट्रेंड
  • नया ट्रेंड भारत में मिलान पेरिस से आता है
  • मौसम की तरह फैशन की फोरकास्टिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-31 10:39 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अजय तिवारी. फैशन लगातार बदलता है, लेकिन बड़ा सवाल है कि बदलते फैशन के साथ ही देशभर में कपड़ों को लेकर कमोबेश एक जैसा ट्रेंड कैसे नजर आने लगता है? अपैरल और गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स को आखिर कहां से आइडिया मिलता है? इसका जवाब है- मौसम की तरह फैशन की फोरकास्टिंग होना। जयपुर के अपैरल ब्रांड जुनिपर की फाउंडर पूजा अग्रवाल के मुताबिक, मैन्युफैक्चरर्स ट्रेंड पता करने के लिए खास सॉफ्टवेयर और रैपिड टूल इस्तेमाल करते हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के पास रोज का डेटा होता है, जिससे बिक्री और डिमांड का ट्रेंड मिलता है। इसी हिसाब से मैन्युफैक्चरिंग होती है। इच क्रिएटिव कंसल्टिंग की को-फाउंडर अनुराधा चंद्रशेखर और कनिका वोहरा ने बताया कि इटली के मिलान और फ्रांस के पेरिस जैसे बड़े फैशन सेंटर्स से एक साल के लिए कलर स्कीम, डिजाइन आदि की फोरकास्ट जारी होती है। भारतीय मैन्युफैक्चरर इसे स्थानीय मौसम और पसंद के हिसाब से ढालते हैं। दुनिया की चुनिंदा फैशन फोरकास्टिंग एजेंसियों में वर्थ ग्लोबल स्टाइल नेटवर्क प्रमुख है। दुनियाभर के डिजाइन हाउस इस ब्रिटिश एजेंसी के रेफरेंस फॉलो करते हैं। यह आमतौर पर एक साल और चुनिंदा ग्राहकों के लिए दो साल का फोरकास्ट बताती है। इच क्रिएटिव कंसल्टिंग 700 से ज्यादा टच पॉइंट्स पर फैशन के आगामी ट्रेंड्स का अनुमान लगाती है। फैशन फोरकास्टिंग में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और तकनीकी प्रभावों जैसी कई चीजों का विश्लेषण किया जाता है। इससे अनुमान लगाते हैं कि भविष्य में कौन सी स्टाइल, कलर, फैब्रिक लोकप्रिय होंगे।


नया ट्रेंड अपना लेते हैं उत्तर भारतीय: क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चीफ मेंटर राहुल मेहता के मुताबिक, देश में फैशन मुंबई से शुरू होता है। यह धीरे-धीरे उत्तर भारत में फैलता है। पूर्वी और दक्षिणी इलाके कलर्स और फैब्रिक को लेकर ज्यादा ही पारंपरिक और रूढ़िवादी हैं। हालांकि उत्तर भारतीय फौरन नया ट्रेंड अपना लेते हैं। वे कैजुअल वियर्स पर ज्यादा खर्च करते हैं। भारतीय यूरोपीय फैशन को तरजीह देते हैं क्योंकि इटली, फ्रांस में बोल्डनेस और तड़क-भड़क ज्यादा होती है।

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