New delhi News: सूबे में अब तक कोई डिप्टी सीएम नहीं बना है सीएम, क्या इस बार लगेगी अजित की लॉटरी

  • तिरपुड़े थे महाराष्ट्र के पहले उपमुख्यमंत्री
  • सूबे में अब तक कोई डिप्टी सीएम नहीं बना है सीएम
  • 1995 में मुंडे बने थे डिप्टी सीएम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-08 14:13 GMT

New Delhi News : अजीत कुमार। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इसके मद्देनजर यह पूछा जा रहा है कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? दोनों गठबंधनों में शामिल पार्टियों का जोर ज्यादा-से-ज्यादा सीटें जीतने पर है, ताकि मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी मजबूत की जा सके। मौजूदा उपमुख्यमंत्री अजित पवार सार्वजनिक रूप से राज्य का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जता चुके हैं। ऐसे में यह सवाल मौजूं है कि क्या इस बार अजित पवार का ख्वाब पूरा हो पाएगा? इस तथ्य के बावजूद कि महाराष्ट्र का कोई भी उपमुख्यमंत्री अब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका है।

तिरपुड़े थे महाराष्ट्र के पहले उपमुख्यमंत्री

महाराष्ट्र का पहला उपमुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड नासिकराव तिरपुड़े के नाम है, जो मार्च 1978 से जुलाई 1978 तक उपमुख्यमंत्री रहे। तब वसंतदादा पाटील मुख्यमंत्री थे। इसके बाद सुंदरराव सोलंकी शरद पवार के मुख्यमंत्रित्व काल में जुलाई 1978 से फरवरी 1980 तक उपमुख्यमंत्री रहे। फिर मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटील के अगले कार्यकाल में रामराव आदिक फरवरी 1983 से मार्च 1985 तक उपमुख्यमंत्री पद पर रहे।

1995 में मुंडे बने थे डिप्टी सीएम

1995 में जब शिवसेना-भाजपा की सरकार बनी तो भाजपा के गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री बने थे। मुंडे मार्च 1995 से अक्टूबर 1999 तक राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे। 1999 में कांग्रेस-राकांपा की सरकार बनी तो राकांपा के छगन भुजबल उपमुख्यमंत्री बनाए गए। भुजबल ने अक्टूबर 1999 से दिसंबर 2003 तक उपमुख्यमंत्री का पद सुशोभित किया। इसके बाद दिसंबर 2003 से नवंबर 2004 तक राकांपा के विजयसिंह मोहिते पाटील उपमुख्यमंत्री बनाए गए। राकांपा के आरआर पाटील भी नवंबर 2004 से दिसंबर 2008 तक विलासराव सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद अजित पवार पृथ्वीराज चह्वाण, देवेन्द्र फड़नवीस, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए। महाराष्ट्र में देवेन्द्र फड़नवीस के रूप में एक उदाहरण मुख्यमंत्री बनने के बाद उपमुख्यमंत्री बनने का भी है।

बिहार से शुरू हुई डिप्टी सीएम की परंपरा

देश में उपमुख्यमंत्री का पद संवैधानिक नहीं है। बावजूद इसके इस समय विभिन्न राज्यों में लगभग दो दर्जन उपमुख्यमंत्री कार्यरत हैं। देश में किसी भी राज्य में पहला उपमुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड अनुग्रह नारायण सिन्हा के नाम है, जो वर्ष 1946 में बिहार के उपमुख्यमंत्री बनाए गए थे। मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के साथ वे 1946 से 1957 तक उपमुख्यमंत्री रहे।

आधा दर्जन नेता बन चुके हैं डिप्टी सीएम से सीएम

महाराष्ट्र में भले ही कोई भी उपमुख्यमंत्री अब तक मुख्यमंत्री नहीं बन सका हो, लेकिन देश में लगभग आधा दर्जन ऐसे उदाहरण हैं, जब उपमुख्यमंत्री अपने 'उप' का तमगा हटाने में कामयाब रहे हैं। इसमें राजस्थान के टीकाराम पालीवाल, बिहार के कर्पूरी ठाकुर, केरल के आर शंकर, मध्यप्रदेश के वीरेन्द्र सकलेचा, तमिलनाडु के एमके स्टालिन और झारखंड के रघुबर दास का नाम शामिल है। टीकाराम पालीवाल 1951-52 में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री थे, जबकि मार्च 1952 से अक्टूबर 1952 तक वे राज्य के मुख्यमंत्री रहे। आर शंकर 1960 से 1962 तक केरल के उपमुख्यमंत्री बने तो 1962 से 1964 तक उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री भी काम किया। इसी प्रकार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने 1967 से 1968 तक राज्य के उपमुख्यमंत्री का पद सुशोभित किया था। मध्यप्रदेश में वीरेन्द्र सकलेचा 1967 से 69 तक उपमुख्यमंत्री रहे तो 1978 से 1980 तक प्रदेश के मुख्य की कमान भी संभाली। भाजपा नेता रघुबर दास दिसंबर 2009 से मई 2010 तक झारखंड के उपमुख्यमंत्री थे। बाद में दिसंबर 2014 से दिसंबर 2019 तक वे प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसी प्रकार तमिलनाडु के मौजूदा मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने वर्ष 2009 से 2011 तक प्रदेश के उपमुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी।

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