Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पति को उकसाने की आरोपी महिला को दी अंतिम जमानत

  • पुणे के एक बार में व्यक्ति पर जानलेवा हमला का मामला
  • पुणे ग्रामीण के राजगढ़ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज
  • अदालत ने माना- प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ घटना की पुष्टि करने वाला कोई भी साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-03 16:39 GMT

Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे के एक बार में व्यक्ति पर जानलेवा हमला के मामले में पति को उकसाने की आरोपी महिला को अंतिम जमानत दे दी। अदालत ने माना कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ घटना की पुष्टि करने वाला कोई भी साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है। न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की अवकाश कालीन पीठ के समक्ष गृहणी ईश्वरी अक्षय पवार की ओर से वकील तपन थत्ते और वकील जैद अनवर कुरैशी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वकील तपन थत्ते ने दलील दी कि याचिकाकर्ता पर मुख्य आरोपी पति को उकसाने का आरोप है। पुणे ग्रामीण के राजगढ़ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर विशेष रूप से बीएनएसएस की धारा 109 वर्तमान मामले से संबंधित नहीं है। याचिकाकर्ता की भूमिका के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता की आयु लगभग 24 वर्ष है और वह एक गृहिणी है। याचिकाकर्ता के परिवार और शिकायत के परिवार के बीच सिविल विवाद लंबित हैं। शिकायतकर्ता की ओर से उपस्थित वकील ने अदालत में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने और कुछ सामग्री रिकॉर्ड पर रखने के लिए समय मांगा है। सरकारी वकील ने गिरफ्तारी से पहले जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि अपराध गंभीर है और गिरफ्तारी से पहले जमानत का विरोध किया है।

इस पर पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) पर विचार करने पर मारपीट का आरोप याचिकाकर्ता के पति के खिलाफ है। याचिकाकर्ता की भूमिका केवल उसके पति को भड़काने की है। कम से कम इस स्तर पर उस घटना की पुष्टि करने वाला कोई भी साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है। याचिकाकर्ता की भूमिका पर विचार करते हुए प्रथम दृष्टया गिरफ्तारी से पहले जमानत देने का मामला बनता है। चूंकि शिकायतकर्ता के वकील ने आगे की सामग्री रिकॉर्ड में रखने के लिए समय मांगा है, इसलिए याचिकाकर्ता को 25 नवंबर तक का समय दिया को जाता है। अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी जाती है। गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ता को 15 हजार रुपए के बॉन्ड और समान राशि की एक या दो जमानत देने पर रिहा किया जाए।

क्या था पूरा मामला

जब शिकायतकर्ता 25 सितंबर 2024 को सुबह अपने घर के सामने खड़ा था, तब याचिकाकर्ता का पति उसके पास आया और उनके बीच पैसे के लेन देन को लेकर कहासुनी हो गई। इसके बाद उसी दिन शाम जब शिकायतकर्ता अपने परमिट बार में बैठा था, तब याचिकाकर्ता का पति, याचिकाकर्ता पत्नी और एक दोस्त गौरव के साथ परमिट बार में गया, जहां शिकायतकर्ता बैठा हुआ था। याचिकाकर्ता के पति ने बार के काउंटर पर रखी कांच की बोतल से शिकायतकर्ता के सिर पर हमला किया। आरोप है कि उस समय याचिकाकर्ता ने अपने पति को शिकायतकर्ता को जीवित नहीं छोड़ने के लिए उकसाया। उस समय बार के वेटर जीतेंद्र गावत ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की और याचिकाकर्ता के दोस्त ने उसे धक्का दिया और धमकी दी।शिकायतकर्ता ने राजगढ़ पुलिस स्टेशन में बीएनएसएस की धारा 49, 352, 351(3), 351(2), 3(5), 118(2), 115(2) और 109 के तहत याचिकाकर्ता, उसके पति और दोस्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। सरकारी वकील कोंडे-देशमुख ने याचिकाकर्ता की अंतिम जमानत का विरोध किया और गंभीर अपराध में शामिल होने का हवाला देते हुए पुलिस हिरासत में ले कर पूछताछ की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की दलील को स्वीकार करते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी।

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