मराठा आरक्षण आंदोलन: जरांगे-पाटील ने कहा - मराठा के बाद ओबीसी आरक्षण के लिए भी लड़ाई शुरू होगी

  • 21 फरवरी के बाद आंदोलन की दिशा तय होगी
  • ओबीसी आरक्षण के लिए भी लड़ाई शुरू होगी
  • जरांगे-पाटील ने जानकारी दी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-19 13:00 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. मराठा आरक्षण को लेकर पिछले 10 दिनों से मनोज जरांगे-पाटील भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। अंतरवली सारथी में वो भूख हड़ताल पर बैठे हैं। जरांगे के अनशन का सोमवार (19 फरवरी) को 10वां दिन है। कोर्ट के आदेश से उनका इलाज किया जा रहा है। सरकारी मेडिकल अधिकारियों की देखरेख में उनका इलाज किया जा रहा है। इससे पहले रविवार को डॉक्टरों की एक टीम ने जरांगे-पाटील का स्वास्थ्य परीक्षण किया। पाटील के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल उनकी हालत स्थिर है। अंतरवाली-सराटी में जरांगे-पाटील ने कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर उनकी लड़ाई जारी है, उसके बाद ओबीसी आरक्षण के लिए भी लड़ाई शुरू होगी। उन्होंने कहा कि 20 फरवरी को राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर विधानमंडल का विशेष अधिवेशन बुलाया है। लिहाजा वह 21 फरवरी के बाद आंदोलन की अगली दिशा तय करेंगे।

जरांगे-पाटील ने कहा कि सोमवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। सभी मराठा समाज के लोग शिव जयंती को बड़े पैमाने पर मनाएं। जरांगे ने मराठा समाज के लोगों से अपील करते हुए कहा कि राज्य में छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए आंदोलन के चलते उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। पाटील ने सरकार से एक बार फिर मांग करते हुए कहा कि जिन लोगों के सगे-संबंधियों का रिकॉर्ड प्राप्त हो गया है, उन्हें आरक्षण देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मराठा ओबीसी कोटे से आरक्षण चाहते हैं, क्योंकि मराठा ओबीसी में से ही आते हैं। सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अगर 20 फरवरी तक सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर कोई फैसला नहीं किया तो फिर आंदोलन के आगे की दिशा तय की जाएगी।

जरांगे-पाटील ने कहा कि अगर मराठा समाज को अलग से आरक्षण दिया जाता है तो यह सीमा 62 फीसदी के ऊपर चली जाएगी। उन्होंने कहा कि 62 फीसदी आरक्षण पहले भी दिया जा चुका है। ऐसे में राज्य सरकार कितना प्रतिशत आरक्षण मराठाओं को देती है यह हमें देखना पड़ेगा। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने जरांगे-पाटील पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को किसी के दबाव में नहीं झुकना चाहिए। राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर जो अधिवेशन बुलाया है, उसमें सभी की बात सुनकर आरक्षण की समय सीमा तय होनी चाहिए।


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