आईआईटी बॉम्बे के निर्देश - सहपाठी से जेईई एडवांस की रैंक पूछना है गलत
- हॉस्टल में मांस पकाया तो 50 हजार का जुर्माना
- सोशल मीडिया पर संदेश भेजने से बचें
- आईआईटी बॉम्बे ने जारी किए निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के विद्यार्थियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सहपाठी से उनकी जाति या रैंक से जुड़े सवाल न करें। क्योंकि ऐसा करने से मन में पूर्वाग्रह आ सकता है। आईआईटी बॉम्बे के एससी/एसटी सेल ने भेदभाव विरोधी (एंटी डिस्क्रिमिनेशन) दिशा-निर्देश छात्र दर्शन सोलंकी की आत्महत्या के बाद संस्थान में जातीय भेदभाव को लेकर उठ रहे सवालों के बाद जारी किए हैं। दर्शन के परिवार ने आरोप लगाया था कि जातीय भेदभाव से परेशान होकर उसने आत्महत्या की थी। केमिकल इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के छात्र दर्शन ने फरवरी में हॉस्टल की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। तब उन्होंने एससी/एसटी सेल पर निष्क्रियता के आरोप लगाए थे। अब सेल ने विद्यार्थियों को हिदायत दी है कि वे ऐसा कोई काम न करें जिससे सहपाठी में हीन भावना पैदा हो। इसमें सहपाठियों से उनकी जेईई (एडवांस) रैंक और जीएटीई (गेट) स्कोर और दूसरी ऐसी कोई जानकारी न मांगने का कहा है जिससे उनकी जाति का खुलासा हो। क्योंकि एक छात्र के जिज्ञासावश सवाल से दूसरे के मन पर विपरीत असर पड़ सकता है। छात्र को ऐसा लग सकता है कि उसकी जाति के बारे में जानने की कोशिश हो रही है।
सोशल मीडिया पर संदेश भेजने से बचें
सोशल मीडिया पर गालीगलौज, नफरत, जातिवादी, लैंगिक भेदभाव जैसे संदेश नहीं देने का कहते हुए चेतावनी दी है कि कट्टरता, धर्म और यौन रुझान से जुड़े संदेश भी उत्पीड़न या धमकाने वाले माने जाएंगे और इसके लिए कड़ी सजा दी जाएगी।
हॉस्टल में मांस पकाया तो 50 हजार का जुर्माना
आईआईटी बॉम्बे में मांसाहार और शाकाहार को लेकर विवाद छिड़ गया है। ताजा मामला पिछले सप्ताह उस वक्त शुरू हुआ जब हॉस्टल 12 की कैंटीन में कुर्सी पर यह पोस्टर चिपका मिला कि यहां केवल शाकाहारी बैठ सकते हैं। सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल होने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। आंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (एपीपीएससी) से जुड़े आईआईटी बॉम्बे के पीएचडी विद्यार्थी ने दावा किया कि यह विवाद लंबे समय से चल रहा है। यहां तक कि हॉस्टल 10 में जिस स्टोव पर शाकाहारी खाना बनता है वहां मांसाहार पकाने पर 18 सितंबर 2022 को मेस काउंसिल ने 50 हजार रुपए जुर्माना वसूला था। इस मामले में पिछले साल दिसंबर में सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे सवाल के जवाब में संस्थान ने सफाई दी थी कि जैन खाना खाने वाले शाकाहारी छात्रों की बैठने की अलग व्यवस्था नहीं की गई है और इस तरह जुर्माने का प्रावधान भी नहीं है। बहुजन विकास आघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने भी भेदभाव पर नाराजगी जताई है।
इस मुद्दे पर एक ट्वीट किया कि मैं मांसाहारी हूं। आहार संबंधी प्राथमिकताओं पर गर्व करने वालों से मेरा केवल एक सवाल है कि क्या आप चमड़े के जूते, बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करते। चमड़े के जो उत्पाद आप पहनते हैं वह मेरे लोगों द्वारा बनाए गए हैं।