बॉम्बे हाईकोर्ट: नासिक की एपीएमसी मार्केट से माथाडी कामगारों के मेहनताने को लेकर सरकार को फटकार
- राज्य सरकार को अदालत ने लगाई फटकार
- अदालत ने सरकार से पूछा-एडमिनिस्ट्रेटर की क्यों नहीं हुई नियुक्ति?
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने सिडको के पनवेल एयरपोर्ट के आसपास के विज्ञापन कंपनियों की होर्डिंग हटाने पर लगाई रोक
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने नासिक के एपीएमसी मार्केट में माथाडी कामगारों के मेहनताने को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने पूछा कि एपीएमसी मार्केट माथाडी कामगारों के मेहनताना मामले में जीआर का उल्लंघन कर रहा है, तो सरकार ने इस मामले में एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्ति क्यों नहीं किया? अदालत ने इसको लेकर सरकार से जवाब मांगा है। 10 जून को मामले की अगली सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति एन.आर.बोरकर और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसेन की खंडपीठ के समक्ष महाराष्ट्र राज्य माथाडी ट्रांसपोर्ट एंड जनरल कामगार युनियन की ओर से वकील संजय शिंदे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील संजय शिंदे ने दलील दी कि नासिक के कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) मार्केट में काम करने वाले माथाडी कामगारों को पिछले एक महीने से मेहनताने की राशि नहीं मिल रही है। राज्य सरकार ने शासनादेश (जीआर) का उल्लंघन करने के लिए एपीएमसी मार्केट को नोटिस जारी किया है। इसके बावजूद एपीएमसी मार्केट से मथाड़ी कामगारों को मेहनताना की राशि नहीं मिल रही है। माथाडी कामगारों के जरिए कृषि उत्पादों के सारे काम किए जाते हैं। एपीएमसी मार्केट ने एक महीने से माथाडी कामगारों का मेहनताना बंद कर दिया है। खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सिडको के पनवेल एयरपोर्ट के आसपास के विज्ञापन कंपनियों की होर्डिंग हटाने पर लगाई रोक
घाटकोपर होर्डिंग हादसे के बाद नींद से जागी शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको) ने पनवेल एयरपोर्ट के आसपास के 80 से अधिक विज्ञापन कंपनियों की बड़ी होर्डिंग हटाने का 24 घंटे का न केवल नोटिस जारी किया, बल्कि आनन-फानन में उनको हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को सिडको की होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी। 30 मई को मामले की अगली सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसन की खंडपीठ समक्ष होर्डिंग लगाने वाली विज्ञापन कंपनियों की ओर से वकील गोपाल पवार और वकील सोनम पांडेय की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील वैभव चारलवार ने दलील दी कि 22 मई को घाटकोपर होर्डिंग हादसे के बाद पनवेल एयरपोर्ट के आसपास के 80 से अधिक विज्ञापन कंपनियों की होर्डिंग हटाने का 24 घंटे का नोटिस जारी किया और उसके बाद से ही होर्डिंग हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी। सिडको ने विज्ञापन कंपनियों को उनका पक्ष रखने का भी समय नहीं दिया। जबकि सभी होर्डिंग ग्राम पंचायत से परमीशन लेकर प्राइवेट जगहों में लगाई गई हैं। विज्ञापन कंपनियां ने डेढ़ साल से सिडको को परमीशन के लिए आवेदन किया है, लेकिन उन्हें परमीशन नहीं मिला। सिडको की ओर से पेश वकील ने पिंकी भंसाली ने कहा कि सिडको ने जिन होर्डिंग को हटाने का नोटिस जारी किया है, उनमें ज्यादातर होर्डिंग में जंग धोखादायक हैं। खंडपीठ ने पूछा कि होर्डिंग को लेकर सिडको के पास कोई पॉलिसी है। क्या होर्डिंग का ऑडिट किया गया है? जिन होर्डिंग को हटाने का नोटिस भेजा गया है, क्या उनमें सभी खतरनाक है? खंडपीठ ने सिडको से इसका जवाब मांगा है। 30 मई को मामले की अगली सुनवाई तक सिडको की कार्रवाई पर रोक लगा दिया है।