सर्वेक्षण: महाराष्ट्र में पढ़ाई-लिखाई पर फ्लू का कहर, कोविड की तीसरी लहर के बाद बच्चों का इम्यूनिटी सर्वे

  • 10 में 4 अभिभावकों ने माना स्कूल जाने वाले बच्चे साल में 4 से 6 बार पड़ रहे बीमार
  • पढ़ाई-लिखाई पर फ्लू का कहर
  • कोविड की तीसरी लहर के एक साल बाद बच्चों का इम्यूनिटी सर्वे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-06 01:30 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान।  कोविड की तीसरी लहर के एक साल बाद बच्चों की इम्यूनिटी जानने के लिए लोकल सर्किल के सर्वे में चौंकानेवाला खुलासा हुआ है। सर्वे में शामिल हर 10 में 3 से 4 अभिभावकों ने माना कि स्कूल जानेवाले उनके बच्चे साल में 4 से 6 बार बीमार पड़ रहे हैं। सर्दी-खांसी, फ्लू और सांस संबंधित बीमारियों से परेशान बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित होती है। लोकल सर्किल ने देश भर में यह सर्वे किया है। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर 30 हजार से अधिक अभिभावकों की राय ली गई है, जिनमें 4000 से अधिक महाराष्ट्र के हैं।

लोकल सर्किल के फाउंडर सचिन टपारिया ने बताया कि सर्वे के तहत अभिभावकों से स्कूल जाने वाले बच्चों को लेकर दो सवाल पूछे गए। पहला सवाल यह था कि पिछले एक साल में उनके बच्चे कितनी बार बीमार पड़े ? जवाब 2321 अभिभावकों ने दिए।

-इनमें से 33 फीसदी अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे 4 से 6 बार बीमार पड़े हैं।

-41 प्रतिशत अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे 2 से 3 बार बीमार पड़े।

-15 फीसदी ने बताया कि बीते साल उनके बच्चे एक बार भी बीमार नहीं हुए।

बीमार होने पर नहीं जाते स्कूल

सर्वे में 1971 अभिभावकों में से 41 फीसदी ने बताया कि बीमार होने पर उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। 17 प्रतिशत पालकों ने बताया कि कभी- कभार उनके बच्चे बीमारी की वजह से स्कूल नहीं जाते जबकि 9 फीसदी ने बताया कि बीमारी के बाद भी उनके बच्चे स्कूल जाते हैं।

क्या कहा डॉक्टर ने

एनएचएसआरसीसी अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहाल शाह ने बताया कि उनकी ओपीडी में रोजाना जितने भी बच्चे आते हैं, उनमें आधे से ज्यादा स्कूल जाते हैं। ज्यादातर बच्चे फ्लू की चपेट में होते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल में यदि किसी बच्चे को फ्लू है तो इससे अन्य बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए एक बच्चा साल में 3 से 4 बार सर्दी-खांसी की चपेट में आ ही जाता है।

हमेशा अनुकूल नहीं रहती प्रतिरक्षा प्रणाली

बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। इसी कारण कोविड वायरस के गंभीर लक्षणों से वे काफी हद तक बच गए। लेकिन यह भी सच है कि वायरस से लड़ने के लिए बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली हमेशा अनुकूल नहीं रहती है। इसलिए पुन: संक्रमण होने का जोखिम वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक होता है। गारवन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च ( ऑस्ट्रेलिया) की शोध रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की गई है।

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