मुंबई मनपा: बंद शवदाह गृह में जलाई जाएगी डेड बॉडी, पर्यावरण को नुकसान से बचाने की पहल

  • 40 प्रतिशत लकड़ी की होगी बचत
  • पर्यावरण का नुकसान कम होगा
  • बंद शवदाह गृह में जलाए जाएंगे शव

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-16 14:02 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बढ़ते प्रूदषण को कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए बीएमसी ने खुली चिता पर शवों के जलाए जाने के बदले सायन स्मशान भूमि में बंद शवदाह गृह में शवों को जलाने का प्रयोग शुरु किया है। इस तरीके से शवों को जलाने में 40 प्रतिशत लकड़ी की बचत होती है। साथ ही लकड़ी से जलाने से पूर्व सभी धार्मिक विधि पहले जैसी पूरी की जाती है। इस प्रयोग के बाद मनपा पर्यावरण विभाग यह आकलन करने में लगा है शवों को जलाने से निकलने वाले धुएं को कितना प्रतिशत कम किया जा सकता है।

मुंबई महानगरपालिका के मुंबई में 52 स्मशान भूमि और 18 निजी स्मशान भूमि हैं जहां शवों को जलाया जाता है। मनपा के पास 18 विद्युत् स्मशान भूमि और 18 स्थान पर गैस स्मशान भूमि हैं। खुली चिता पर लकड़ी से शवों को जलाने से आस पास में फैलने वाले धुएं से पर्यावरण को नुकसान होता है। हालांकि बीमएसी ऐसे स्मशान गृहों में लंबी चिमनी के जरिए धुएं को उपर हवा में छोड़ने का प्रबंध भी किया गया है। पर्यावरण विभाग के अधिकारी का कहना है कि नीचे फैलने वाले धुएं से पर्यावरण का अधिक नुकसान होता है।

बीएमसी मुंबई में शवों को जलाने के लिए प्रति शव 300 किलो लकड़ी मफ्त उपलब्ध कराती है। अधिकारी ने बताया कि खुली चिता में शवों को जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सायन स्मशान भूमि में नया प्रयोग शुरु किया गया है। यहां पर शवों को चिता पर रखने और धार्मिक किया पूरी करने के बाद बंद शवदाह में ट्रॉली को धकेल दिया जाता है। धुएं को उपर पहुंचाने के लिए बनाई गई चिमनी में पंखे लगे होते हैं। जो शव को जल्द जलाने में मदद करते हैं। चारों तरफ से बंद होने के कारण शव के लिए लगने वाली कुल लकड़ी का 40 प्रतिशत बचत होती है।

मिनेश पिंपले उपायुक्त, मनपा पर्यावरण विभाग के मुताबिक सायन स्मशान भूमि में प्रायोगिक तौर पर बंद स्मशान भूमि का कांसेप्ट अपनाया गया है। इसकी सफलता के बाद इसे पूरे मुंबई में लागू किया जाएगा।

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