बॉम्बे हाईकोर्ट: अदालत ने माना - फिल्म हमारे बारह महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को बयां करती है

  • महिलाओं से घरेलू हिंसा सच्चाई है
  • अदालत ने माना-फिल्म ‘हमारे बारह' महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को बयां करती है
  • फिल्म की रिलीज को मिल सकती है हरी झंडी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-18 16:33 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि महिलाओं से घरेलू हिंसा सच्चाई है। फिल्म 'हमारे बारह' महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को बयां करती है। फिल्म में किसी समुदाय को निशाना नहीं बनाया गया है। अदालत ने जहां याचिकाकर्ता और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को सहमति करार फाइल करने का निर्देश दिया है, वहीं बिना सीबीएफसी के सर्टिफिकेट के फिल्म का प्रोमो रिलीज करने के लिए 5 लाख रुपए का दंड लगाया है। अदालत बुधवार को फिल्म को रिलीज करने की हरी झंडी दे सकती है। न्यायमूर्ति बी.पी.कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौश फिरोज पूनीवाला की पीठ के समक्ष मंगलवार को पुणे के अजहर बशा तंबोली और फिल्म निर्माता रवि एस.गुप्ता की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान तंबोली की ओर से वकील मयूर खांडेपारकर ने दलील दी कि फिल्म ‘हमारे बारह' में मुस्लिम समाज को निशाना बनाया गया है।

फिल्म के प्रोमो बिना सीबीएफसी के सर्टिफिकेट के सोशल मीडिया पर जारी कर दिया गया, जिसमें मुस्लिम समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले संवाद है। फिल्म निर्माता की ओर से सोशल मीडिया से विवादित सभी संवाद हटाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन वह आज भी मौजूद हैं। फिल्म में कुरान की आयतों को गलत तरह पेश किया गया है। साथ ही फिल्म में हिंसा करते हुए ‘अल्ला हो अकबर’बोला जाता है। फिल्म निर्माता गुप्ता के वकील राहुल नारिचानी ने कहा कि सीबीएफसी के निर्देश पर फिल्म के सभी विवादित संवाद निकाल दिए गए हैं। सोशल मीडिया से पहले के रिलीज किए गए टीजर को भी हटा लिया गया है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि उन्होंने फिल्म देखी है। फिल्म में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को दिखाया गया है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। याचिकाकर्ता फिल्म के प्रोमो को देखकर विवादित संवाद की बात कर रहे हैं। महिलाओं से घरेलू हिंसा सच्चाई है। फिल्म समाज को मैसेज देती है। पीठ ने याचिकाकर्ता और सीबीएफसी को सहमति करार फाइल करने का निर्देश दिया है। साथ ही पीठ ने फिल्म निर्माता को बिना सीबीएफसी के सर्टिफिकेट के फिल्म का प्रोमो सोशल मीडिया में रिलीज करने पर पांच लाख का दंड लगाया है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की हाई कोर्ट में सुनवाई होने तक फिल्म के रिलीज पर रोक लगा दी थी।

अभिनेता अन्नू कपूर ने फिल्म में एक मुस्लिम शख्स मंसूर अली खान का रोल अदा किया है, जिसकी पहली पत्नी बच्चा पैदा करते हुए मर जाती है। उनकी दूसरी पत्नी छठी बार प्रेग्नेंट होती है। डॉक्टर कहता है कि प्रेग्नेंसी में उसकी जान भी जा सकती है, लेकिन खान अबॉर्शन करवाने के लिए मना कर देता है। फिल्म में महिलाओं पर होने वाली हिंसा को प्रमुखता से दिखाया गया है।

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