चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बायोलॉजिकल पिता को बच्चे को सौंपने पर निर्णय ले

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा - नहीं तो हमें देना होगा आदेश
  • बच्चे के पिता के आवेदन को सीडब्ल्यूसी किया था अस्वीकार
  • अदालत ने महिला बाल विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव हुए अदालत में पेश

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-26 13:40 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने किस आधार पर बच्चे के बायोलॉजिकल पिता के आवेदन को अस्वीकार किया। पहले बच्चे को उसकी मां से अलग कर गलती की गयी। अब उसके पिता से भी अलग किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी को इस बात का एहसास है कि बच्चा किस सदमे से गुजर रहा होगा। सीडब्ल्यूसी बच्चे के बायोलॉजिकल पिता को सौंपने का निर्णय लेने पर विचार करें, नहीं तो हमें आदेश देना होगा। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को बच्चे के पिता राममूर्ति गाडिवदार की ओर से वकील आशीष दुबे की दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य के महिला बाल विकास विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी पेश हुए। खंडपीठ ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को किसी और को गोद देने से पहले उसके बायोलॉजिकल पिता को सौंपने पर क्यों विचार नहीं किया? सीडब्ल्यूसी को इस बात का एहसास है कि बच्चा किस सदमे से गुजर रहा होगा। सरकारी वकील ने दलील दी कि बच्चे के पिता पर दुराचार का मामला दर्ज है। इसलिए सीडब्ल्यूसी उसे बच्चा नहीं सौंपा।

इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह नाबालिग से प्रेम संबंध का मामला है। वे खुद पुलिस स्टेशन में सरेंडर हुए। यह कानूनी आधार नहीं है कि पिता पर दुराचार का मामला है, तो उसे उसके बच्चे को नहीं सौंपा जा सकता है। सीडब्ल्यूसी को उचित निर्णय लेने का एक और मौका देते हैं। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को रखी गई है। साकीनाका के 21 वर्षीय युवक का 17 साल की नाबालिग से प्रेम संबंध था। वे 1 अक्टूबर 2021 को मुंबई से कर्नाटक चले गए। नाबालिग प्रेमिका ने एक बच्चे को जन्म दिया। युवक नाबालिग प्रेमिका के 18 वर्ष की होने के बाद साकीनाका पुलिस स्टेशन में सरेंडर किया। पुलिस ने युवक को 1 फरवरी को गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने उसकी पत्नी को उसके माता-पिता के हवाले कर दिया था और बच्चे को सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया था। लड़की के पिता ने उसकी कहीं और शादी कर दी। जबकि सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को सामाजिक संस्था के माध्यम से बच्चे को किसी को गोद दे दिया था। अदालत के फटकार के बाद सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को गोद देने के फैसले को रद्द कर बच्चे को अपने अधिकार में ले लिया है।

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