आरएसएस टिप्पणी मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित
- आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने राहुल गांधी के खिलाफ भिवंडी मजिस्ट्रेट कोर्ट में मानहानि की दर्ज कराई है शिकायत
- याचिका में मजिस्ट्रेट कोर्ट के शिकायतकर्ता से अतिरिक्त सीडी और दस्तावेज को स्वीकार करने को दी गई है चुनौती
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी के सांसद (एमपी) राहुल गांधी की दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। याचिका में मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंटे को मानहानि मामले में एक अतिरिक्त सीडी और दस्तावेज को स्वीकार किया था। न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की एकल पीठ के समक्ष राहुल गांधी की ओर से वकील कुशल मोरे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई।इस दौरान आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंटे की ओर से पेश हुए वकील तपन थत्ते ने दलील दी कि राहुल गांधी शिकायतकर्ता को दस्तावेज दिखाने की भी अनुमति नहीं दे रहे हैं।
दस्तावेज की वास्तविकता साबित करने की जिम्मेदारी शिकायतकर्ता पर होनी चाहिए। राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वकील सुदीप पासबोला ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने दस्तावेज को सिर्फ पहचान के लिए नहीं, बल्कि 'दस्तावेज' के तौर पर चिह्नित किया था। उन्होंने कहा कि अगर इसे दस्तावेज के तौर पर जोड़ा जाता है, तो इसका मतलब होगा कि दस्तावेज साबित हो गया है। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
2021 में आरएसएस कार्यकर्ता ने राहुल गांधी की 2014 की याचिका से विशिष्ट दस्तावेजों को संलग्न करने की उनकी याचिका को खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। तब हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राहुल गांधी को ऐसे दस्तावेजों को शामिल करने को स्वीकार करने या खंडन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
राहुल गांधी ने अपनी याचिका में दलीलें दी कि आदेश और पूरी याचिका का दस्तावेज साक्ष्य और आपराधिक न्यायशास्त्र के स्थापित सिद्धांतों के पूरी तरह विपरीत है। जिस दस्तावेज को साक्ष्य के रूप में संलग्न करने की अनुमति दी गई थी, वह राहुल गांधी द्वारा दिया गया एक भाषण था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि आरएसएस के लोगों ने गांधी जी को गोली मारी और उनके लोग गांधी जी की बात करते हैं।
सरदार पटेल कांग्रेस पार्टी के नेता थे, उन्होंने आरएसएस के बारे में साफ-सुथरा लिखा है। उनके संगठन के बारे में बहुत साफ-सुथरा लिखा है। याचिका में आगे कहा गया है कि आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा अपने स्वयं के दस्तावेजों द्वारा भाषण को साबित करने के बजाय कथित भाषण की प्रतिलिपि को स्वीकार करने का एक छिपा हुआ प्रयास है