धोखाधड़ी का मामला: बिल्डर संजय छाबड़िया को जमानत देने से बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया इनकार
- यस बैंक-डीएचएफएल कर्ज धोखाधड़ी का मामला
- छाबड़िया पर अविनाश भोसले के साथ मिलकर करोड़ों की हेराफेरी का आरोप
डिजिटल डेस्क, मुंबई। यस बैंक-डीएचएफएल कर्ज धोखाधड़ी से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में रेडियस समूह के बिल्डर संजय छाबड़िया को हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिली। अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने माना कि वह (याचिकाकर्ता) प्रथम दृष्टया यह साबित नहीं कर सके कि वह मनी लांड्रिंग में शामिल नहीं थे। इससे पहले विशेष पीएमएलए अदालत ने भी छाबड़िया को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति मनीष पितले की एकलपीठ के समक्ष संजय छाबड़िया की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री प्रथम दृष्टया धन के प्रवाह को दर्शाती है, जो यह संकेत देती है कि धोखाधड़ी की आय वास्तव में याचिकाकर्ता के पास पहुंची, जिसने न केवल इसे अपने पास रखा, बल्कि उसने इस तरह से काम किया कि अपराध की ऐसी आय को छिपाया जा सके। धोखाधड़ी की आय से जुड़ी गतिविधियों को याचिकाकर्ता के खिलाफ वर्तमान मामले में प्रथम दृष्टया पाया गया है। अदालत ने विशेष अदालत को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता को मुकदमे की कार्यवाही में तेजी लाने में विशेष अदालत के साथ सहयोग करने का भी निर्देश दिया जाता है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 28 अप्रैल 2022 धोखाधड़ी मामले में छाबड़िया को गिरफ्तार किया था। ईडी की जांच से पता चला है कि छाबड़िया की मनी लॉन्ड्रिंग में अहम भूमिका रही है। उसने पुणे के बिल्डर अविनाश भोसले के साथ मिलकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की साजिश रची। ईडी का आरोप है कि जून 2018 में यस बैंक से डीएचएफएल को ₹2700 करोड़ रुपए मिलने के बाद डीएचएफएल ने छाबड़िया से जुड़े रेडियस एस्टेट प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (आरईपीपीएल) और सुमेर रेडियस रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड को 1100 करोड़ रुपए और ₹900 करोड़ रुपए के कर्ज दिया था।