मुंबई: नोटबंदी के दौरान आरबीआई के गलत गतिविधियों का आरोप लगाने वाली याचिका की खारिज
याचिका में आरबीआई पर बड़े घोटाले में शामिल होने का लगाया गया था आरोपी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने नोटबंदी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बड़े घोटाले में शामिल होने के आरोप की याचिका को खारिज कर दी। याचिका में साल 2016 की नोटबंदी के दौरान आरबीआई पर गलत गतिविधियों का आरोप लगाने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ के समक्ष मनोरंजन रॉय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि किसी भी अपराध के घटित होने या किसी अनियमितता या अवैधता का खुलासा करने में याचिकाकर्ता विफल रहा। आरबीआई पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि इस बात पर विवाद नहीं किया जा सकता है कि आरबीआई हमारे देश की अर्थव्यवस्था को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अदालतों को मौद्रिक नियामक ढांचे में तब तक जाने से बचना चाहिए, जब तक कि अदालत की संतुष्टि के लिए यह नहीं दिखाया जाता कि जांच की आवश्यकता है। अदालत ने यह भी देखा कि रॉय 2015 से लगातार आरबीआई की वैधानिक कार्यप्रणाली की जांच की मांग कर रहे थे। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि न तो दलीलें और न ही शिकायत एक स्वतंत्र वित्तीय विशेषज्ञ की रिपोर्ट द्वारा समर्थित है, जो दर्शाती है कि विसंगतियां किसी अपराध के घटित होने की ओर इशारा करती हैं। जिसकी विस्तृत जांच की जा सके।
याचिकाकर्ता मनोरंजन रॉय ने साल 2019 में याचिका दायर किया था, जिसमें उनका दावा था कि आरबीआई नोटबंदी के दौरान उचित प्रक्रियाओं का पालन करने में विफल रही और अयोग्य लाभार्थियों को उनके बेहिसाब 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बदलने में मदद की। रॉय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) और वार्षिक रिपोर्ट के माध्यम से प्राप्त जानकारी के आधार पर आरबीआई बड़े घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने साल 2018 में सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो में भी इसकी शिकायत दर्ज कराई थी.