अशोक चव्हाण भाजपा में हो सकते हैं शामिल, पीढ़ियों से था परिवार का कांग्रेस से रिश्ता

  • आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को दिल्ली तलब किया
  • अशोक चव्हाण ने कहा- एक दो दिनों में करुंगा फैसला
  • दो बार मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं चव्हाण

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-12 15:17 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. एक दिन पहले तक प्रदेश कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक में शामिल होने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने सोमवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। इससे राज्य में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। चव्हाण ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मिलकर विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया। जिसे नार्वेकर ने स्वीकार भी कर लिया है। खबर है कि अशोक चव्हाण अगले कुछ दिनों में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि इस्तीफा देने के बाद मीडिया से बातचीत में चव्हाण ने कहा कि अभी तक उन्होंने किसी भी दूसरे दल में जाने का फैसला नहीं किया है। साथ ही उन्होंने पार्टी में अंदरूनी नाराजगी से भी इंकार किया है। चव्हाण के इस्तीफे के बाद कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को दिल्ली तलब किया है। कांग्रेस और दूसरे दलों के नेताओं ने उनके कांग्रेस छोड़ने को ईडी की कार्रवाई से बचने का रास्ता बताया है। पिछले एक महीने में महाराष्ट्र कांग्रेस के तीन बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। अशोक चव्हाण ने रविवार को प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय तिलक भवन में हुई कोर कमेटी की बैठक में भी हिस्सा लिया था। इसके अलावा चव्हाण महाविकास आघाडी गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उन्होंने कांग्रेस को छोड़ने के साथ-साथ विधायक पद से इस्तीफा देने का अचानक फैसला क्यों लिया। हालांकि चव्हाण के पार्टी छोड़ने की चर्चा लंबे समय चल रही थी पर वे इसका खंडन करते रहते थे।

जिलाध्यक्ष- पूर्व नगरसेवक ने छोड़ी कांग्रेस

सोमवार को मुंबई कांग्रेस के एक जिला अध्यक्ष जगदीश कुट्टी अमीन और पूर्व नगरसेवक राजेंद्र नरवणकर ने भी पार्टी छोड़ दी। दोनों ही नेताओं ने भाजपा में प्रवेश कर लिया।

एक दो दिनों में करुंगा फैसलाः अशोक चव्हाण

कांग्रेस छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच चव्हाण ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मैं कहां जाऊंगा और मेरा अगला राजनीतिक कदम क्या रहेगा, इस पर मैंने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। एक-दो दिनों में मैं अपने आगे के निर्णय पर फैसला करुंगा। मैंने भाजपा में शामिल होने पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चव्हाण के साथ पार्टी के एक दर्जन से ज्यादा विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। खबर है कि भाजपा चव्हाण को राज्यसभा भेज सकती है। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इसे एक अफवाह ही बताया है। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस की आगामी राज्यसभा सीट खतरे में पड़ जाएगी। आगामी 15 फरवरी को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह महाराष्ट्र आ रहे हैं। इस दिन चव्हाण भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस बीच प्रदेश कांग्रेस ने अशोक चव्हाण के इस्तीफे को गंभीरता से लेते हुए 14 फरवरी को पार्टी के सभी विधायकों की बैठक बुलाई है।

राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से जब चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इस्तीफे पर चुटकी लेते हुए कहा कि आगे-आगे देखो होता है क्या?

वहीं शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छाती ठोक कर कहते हैं कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीतेगी तो वह दूसरे दलों को तोड़ने में क्यों लगे हुए हैं? 400 का छोड़िए भाजपा 40 सीट भी नहीं जीत सकती।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने पर कहा कि यह बहुत दुखद निर्णय है। चर्चा काफी समय से हो रही थी। हमने सोचा था कि वह यह फैसला नहीं लेंगे।

प्रदेश कांग्रेस कार्याध्यक्ष और विधायक प्रणीति शिंदे ने चव्हाण के इस्तीफे पर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि हाल ही में मिलिंद देवड़ा, बाबा सिद्दीकी के बाद अशोक चव्हाण ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया है। यह भाजपा की साजिश है। ईडी और सीबीआई जैसी सरकारी एजेंसियों के जरिए दबाव डाला जा रहा है।

कांग्रेस विधायक यशोमति ठाकुर का कहना है कि भाजपा ने चव्हाण को श्वेतपत्रिका के माध्यम से ब्लैकमेल किया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने चव्हाण के इस्तीफे पर कहा कि कांग्रेस ने कई नेताओं को बहुत कुछ दिया, लेकिन जब लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई शुरू हुई तो कांग्रेस की विचारधारा को छोड़कर जा रहे हैं, यह दु:खद है।

पूर्व मुख्यमंत्री के पार्टी छोड़ने से नेता-कार्यकर्ता दुखी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने आखिरकार कांग्रेस को राम राम कह राम का नारा लगाने वाली पार्टी का दामन थामने का फैसला ले लिया है। महाराष्ट्र के चौथे मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण के सुपुत्र अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने से मराठवाड़ा इलाके में पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। चव्हाण परिवार से कांग्रेस का रिश्ता पीढ़ियों से था।

चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने की चर्चा लंबे समय से चल रही थी पर वे लगातार इन खबरों का खण्डन करते रहे थे। पर सोमवार को उनके पार्टी और विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा के बाद पूरी तस्वीर साफ हो गई है। तीन दिन पहले कांग्रेस की तरफ से महाराष्ट्र के लिए गठित चुनाव समिति में भी अशोक चव्हाण को शामिल किया गया था।

दो बार मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं चव्हाण

चव्हाण को राजनीति विरासत में मिली है। पिता शंकरराव चव्हाण दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले चव्हाण ने पुणे विश्वविद्यालय में बतौर छात्रनेता अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। 1986 में प्रदेश युवक कांग्रेस के महासचिव से कांग्रेस में उनकी राजनीतिक पारी शुरु हुई। 1987 में वे अपने गृक्ष क्षेत्र नांदेड लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 1992 में उन्हें महाराष्ट्र विधान परिषद में भेज कर राज्य मंत्रिपरिषद में गृह राज्यमंत्री बनाया गया। साल 2003 में चव्हाण विलासराव देशमुख मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। उन्हें परिवहन, पोर्ट व प्रोटोकॉल विभाग की जिम्मेदारी दी गई। एक साल बाद उन्हें राज्य का उद्योग मंत्री भी बना दिया गया। वर्ष 2008 में मुंबई हमले के बाद तत्कालिन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को हटा कर चव्हाण को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।

विधानसभा चुनाव के बाद 2009 में बनी कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सरकार में चव्हाण दोबारा मुख्यमंत्री बनाए गए। पर साल 2010 में आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में घोटाले के चलते चव्हाण को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ गया था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें नांदेड से लोकसभा चुनाव में उतारा और उन्होंने भारी मतों से यह चुनाव जीता। उस वक्त महाराष्ट्र में कांग्रेस को लोकसभा के केवल दो सीटों पर जीत मिली थी। राजीव सातव के अलावा चव्हाण ही महाराष्ट्र से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी तीन दलों की सरकार में भी चव्हाण पीडब्लूडी मंत्री बनाए गए। चव्हाण की पत्नी अमिता चव्हाण भी कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गई। कांग्रेस के टिकट पर चव्हाण दो बार लोकसभा और चार बार विधानसभा में पहुंचे। चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी के नेता-कार्यकर्ता उनकी इस बात के लिए पार्टी ने उन्हें इतना सबकुछ दिया उसके बावजूद मुश्किल समय में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया।

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