बॉम्बे हाईकोर्ट: राज्य भर के 22 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल मालिकों ने लगाई गुहार
- डीसी नियम में बदलाव करने की मांग
- 22 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल मालिकों ने लगाई गुहार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुणे और कोल्हापुर समेत राज्य भर के 22 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल मालिकों ने विकास नियंत्रण नियमावली (डीसी रूल) के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किया है। याचिका में दावा किया गया है कि नए डीसी रूल राज्य के सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल मालिकों का हित प्रभावित हो रहा है। उन्हें यह अधिकार है कि बंद पड़े और घाटे में चल रहे सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल की जगह को डेवलप कर दूसरे व्यवसाय कर सकें।
न्यायमूर्ति जी.एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को कोल्हापुर के प्रभात टाकीज समेत 22 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल मालिकों की ओर से वकील प्रथमेश भरगुडे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अनिल अंतुरकर ने दलील दी कि मल्टीप्लेक्स और ओटीपी समेत ऑनलाइन लोगों को मनोरंजन की सुविधा मौजूद हैं। अब लोगों का सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल से मोह भंग हो गया है। आज सिंगल स्क्रीन सिनेमा या तो भारी घाटे में चल रहे हैं या पूरी तरह से बंद हो गए हैं। सिनेमा मालिकों को बंद पड़े सिनेमा की जगह को डेवलप और दूसरा व्यवसाय करने का अधिकार है। राज्य सरकार का डीसी रूल इसमें बांधक है। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 15 जनवरी को रखी है। इस दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता डॉ.बीरेंद्र सराफ सरकार का पक्ष रखेंगे।
सिनेमा आनर्स एग्जिबिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओईएआई) के पूर्व अध्यक्ष दीपक कुदाले ने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में कहा कि डीसी रूप के मुताबिक राज्य के महानगर पालिका और नगर पालिका समेत ग्राम पंचायत क्षेत्र में चलने वाले सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल की जगह का विकास करते समय सिनेमा हॉल के लिए एक तिहाई हिस्सा सुरक्षित रखना होगा। हालांकि ढाई लाख से कम जनसंख्या वाले नगर पालिका और ग्राम पंचायत में नहीं चल रहे सिंगल स्क्रीन सिनेमा को बंद कर दूसरे व्यवसाय करने का अधिकार है। पुणे एसोसिएशन के सेक्रेटरी दिलीप निकम ने कहा कि राज्य के कई सिनेमाघर सालों से बंद हैं। मालिक उस स्थान पर कोई अन्य व्यवसाय शुरू नहीं कर सकते हैं और उनके लिए खर्चों का प्रबंधन करना मुश्किल है। हमने सरकार से अपना कारोबार बंद करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार से कोई राहत नहीं हुई। अब हमें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।