जबलपुर: नाबालिग संतानों की कस्टडी माँगने पति के शहर में केस दायर नहीं करना पड़ेगा

  • कुटुम्ब न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश
  • परित्यक्ता पत्नी जबलपुर में ही दायर कर सकेगी मुकदमा
  • नाबालिग बेटियों की अभिरक्षा के लिए नागपुर जाकर मुकदमा दायर करें

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-10 13:30 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कुटुम्ब न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में यह व्यवस्था दी है कि परित्यक्ता पत्नी नाबालिग संतानों की कस्टडी हासिल करने की माँग के लिए जबलपुर में ही मुकदमा दायर कर सकेगी। दरअसल, संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम-1890 के प्रावधानों के तहत ये मान्यता थी कि घर से निकाली हुई पत्नी किसी अन्य शहर (मायके) में हो और उसके बच्चे यदि पति के पास हों तो उसे कस्टडी के लिए पति के शहर में मुकदमा दायर करना पड़ेगा।

अधिवक्ता पंकज दुबे व प्रीति धनधारिया ने बताया कि जबलपुर निवासी स्वाति परते के प्रकरण में अदालत ने पूर्व में उसके आवेदन को यह कह कर निरस्त कर दिया था कि पति नागपुर में है, अत: आप अपनी दोनों नाबालिग बेटियों की अभिरक्षा के लिए नागपुर जाकर मुकदमा दायर करें।

स्वाति ने नए सिरे से विशेष आवेदन प्रस्तुत किया। जिस पर बहस के दौरान दलील दी गई कि स्वाति परते के बच्चों को जबलपुर का सामान्य रहवासी माना जाए और वाद यहीं चलाया जाए। कुटुम्ब न्यायालय ने तर्क सुनने के बाद न केवल माँग मंजूर कर ली बल्कि नागपुर निवासी पति को जबलपुर बुला लिया।

रिश्वत लेने वाले राजस्व निरीक्षक को 4 वर्ष का कारावास

विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त अमजद अली खान की अदालत ने रिश्वत लेने के आरोपी तत्कालीन राजस्व निरीक्षक तहसील जबलपुर अरविंद पाण्डे को 4 वर्ष का कारावास और 4 हजार के जुर्माने की सजा से दण्डित किया। लोकायुक्त के विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने बताया कि दीपक पटेल ने 12 जुलाई 2018 को एसपी लोकायुक्त जबलपुर से की शिकायत में बताया था।

कि दीपक ने तहसील कार्यालय जबलपुर में अपनी राँझी मानेगाँव स्थित जमीन के डायवर्सन कार्य के लिए जब वह आरआई अरविंद पाण्डे से मिला तो उनके द्वारा डायवर्सन के लिए उससे 8 हजार रुपये रिश्वत की माँग की गई। एसपी ने एक टीम गठित कर आरोपी को तहसील कार्यालय में 55 सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। जाँच के बाद लोकायुक्त कोर्ट में चालान पेश किया गया।

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