जबलपुर: सूर्य-शनि की प्रसन्नता के लिए लगता है तिल-गुड़ का भोग
- संक्रांति पर 8 घंटे का रहेगा पुण्यकाल
- गुड़ पर सूर्य व तिल पर शनि का आधिपत्य
- दोनों का है पिता-पुत्र का संबंध
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। इस बार मकर संक्रांति पर 15 जनवरी को स्नान-दान के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा। इसकी वजह यह है कि संक्रांति का पुण्यकाल इस दिन सुबह 9:24 से शाम 5:24 तक रहेगा। यह पर्व सूर्य आराधना, पवित्र नदियों में स्नान व तिल-गुड़ व वस्त्र आदि के दान का है। ऐसा करने से विशेष पुण्यलाभ मिलता है।
वैसे मकर संक्रांति पर आमतौर पर ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान-दान प्रारंभ हो जाता है और पूरे दिन चलता है। जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान करना चाहते हैं, उनके लिए सुबह 5:27 से 6:21 तक का समय श्रेष्ठ रहेगा।
पंडितों के अनुसार इस दिन वरीयान व रवि योग सुबह से रात 11 बजे तक रहेगा।
पं. कामता महाराज, पं. नर्बदानंद दुबे का कहना है कि सूर्य का गुड़ व तिल पर शनि का अधिपत्य है, इसलिए इस पर्व पर तिल व गुड़ अथवा उनसे बने लड्डुओं का भोग लगाते हैं। ये दोनों पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक भी हैं।
इस दिन की महत्ता
पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि सूर्य के 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश के साथ ही इसका पुण्यकाल प्रारंभ हो जाएगा, जो सूर्यास्त से पहले शाम 5:24 तक रहेगा। सूर्यदेव इसी दिन उत्तरायण होंगे। सूर्य के संक्रांति काल में की गई उनकी पूजा से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इस दिन दान-पुण्य करना भी श्रेष्ठ फलदायी होता है। रवि योग भी सूर्य से संबंधित है, जिसके चलते इस दिन की शुभता में बढ़ोत्तरी होगी। रवि योग सभी दोषों को नष्ट करता है। इस योग में जो भी कार्य किए जाते हैं, उसका शुभ फल प्राप्त होता है।
सूर्य अपने पुत्र शनि की मकर राशि में करेंगे प्रवेश
पं. रोहित दुबे, पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि सूर्य अपने पुत्र शनि की मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मान्यता है कि सूर्य व शनि का मतभेद है, परंतु दो माह सूर्य पुत्र के अधिपत्य वाली राशि में रहेंगे। मकर के बाद सूर्य का प्रवेश कुंभ राशि में होगा। यह राशि भी शनि के स्वामित्व की है।
मकर उत्तराषाढ़ा के तीन पद से मिलकर बनी है। इसलिए उनकी राशि में सूर्य ही प्रभावशाली रहेंगे। सूर्य गुड़ और शनि तिल पर अधिकार रखते हैं, इसलिए पर्व पर तिल व गुड़ का उपयोग होता है।