बीच राह चली गई महिला की जान: एम्बुलेंस में न कोई अटेंडेंट था और न ही कोई जानकार

  • मरीज को जिला अस्पताल से मेडिकल रेफर करने के दौरान बरती गई हद दर्जे की लापरवाही
  • शासन के नियमानुसार प्रत्येक 108 एम्बुलेंस में मरीज की देखभाल और उपकरणों के संचालन के लिए अटेंडेंट का होना आवश्यक है।
  • मौके पर मेडिसिन विशेषज्ञ से जाँच कराई गई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-30 11:45 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शासकीय अस्पताल में मरीजों की जान से किस तरह का खिलवाड़ किया जाता है। इसका जीता जागता उदाहरण गुरुवार को सामने आया। यहाँ गंभीर रोग से पीड़ित एक महिला को जिला अस्पताल से उचित सुरक्षा व्यवस्था के बगैर ही 108 एम्बुलेंस में मेडिकल भेज दिया गया।

परिणाम स्वरूप महिला की बीच रास्ते में ही जान चली गई। बाद में यह बात सामने आई कि एम्बुलेंस में अटेंडेंट व कोई जानकार व्यक्ति ही नहीं था। यदि अटेंडेंट होता तो महिला को बचाया जा सकता था, जबकि एम्बुलेंस में जीवन रक्षक उपकरण मौजूद थे। परिवार के सदस्यों का कहना है कि उपकरण होने के बाद भी मरीज की जान बचाने के लिए कोई अटेंडेंट नहीं था।

यह है पूरा मामला |

सिविल लाइन निवासी अर्पित मिश्रा ने बताया कि साँस फूलने की समस्या के चलते उन्होंने बुधवार को अपनी माँ 40 वर्षीय अरुणा मिश्रा को जिला अस्पताल विक्टाेरिया में भर्ती किया था।

जहाँ एमआईसीयू में उनका उपचार चल रहा था। गुरुवार की शाम को तबियत में सुधार नहीं हुआ तो चिकित्सकों ने उन्हें माँ को मेडिकल अस्पताल ले जाने की सलाह दी। इसके बाद रात्रि करीब 11 बजे 108 एम्बुलेंस को कॉल कर बुलाया गया और विक्टोरिया से शिफ्ट कराकर मेडिकल रवाना हुए।

जो एम्बुलेंस आई थी, उसमें न तो काेई डॉक्टर था और न ही उपकरणों को चलाने के लिए कोई जानकार। मेडिकल ले जाते वक्त उनकी तबियत बिगड़ती रही, जब 20 मिनट बाद मेडिकल की कैजुअल्टी पहुँचे तो चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

एम्बुलेंस में था सिर्फ ड्राइवर|

मृत महिला के परिजनों का आरोप है कि एम्बुलेंस में कोई अटेंडेंट न होने से उनके परिवार के सदस्य की जान गई है। एम्बुलेंस जब जिला अस्पताल पहुँची तो उसमें केवल ड्राइवर ही था, जिसने मरीज को एम्बुलेंस में शिफ्ट कराया, जबकि ऐसे मौके पर विशेषज्ञ का होना जरूरी है।

जानकार बताते हैं कि शासन के नियमानुसार प्रत्येक 108 एम्बुलेंस में मरीज की देखभाल और उपकरणों के संचालन के लिए अटेंडेंट का होना आवश्यक है।

मेडिकल पहुँचने से पहले हुई मौत

मेडिकल कॉलेज में सीएमओ डॉ. बिलाल फारूखी ने बताया कि महिला को जिला अस्पताल से रेफर कर यहाँ लाया गया था। मौके पर मेडिसिन विशेषज्ञ से जाँच कराई गई, ईसीजी किया गया लेकिन जाँच में यह सामने आया कि अस्पताल पहुँचने से पूर्व ही महिला की मृत्यु हो चुकी थी।

प्रारंभिक रूप से एम्बुलेंस में अटेंडेंट न होने की बात सामने आई है। गाड़ी के ड्राइवर से जानकारी ली गई तो उसने बताया कि अटेंडेंट की तबियत खराब थी, जिसके चलते वह एम्बुलेंस में नहीं था, इसकी सूचना भोपाल कंट्रोल में भी ड्राइवर द्वारा दी गई थी। मामले की जाँच कराई जाएगी।

-डॉ. संजय मिश्रा, सीएमएचओ

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