जबलपुर: किस डेयरी में क्या मिला, कौन से डिब्बे में कहाँ का पानी मिलाया जा रहा यह देखने वाला भी कोई नहीं
दूध में मिलावट महीनों से नहीं हुई सैम्पल्स की जाँच
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
इन दो उदाहरणों से यह तो पता चल गया होगा कि जिस दूध का हम रोजाना उपयोग करते हैं और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को बेखौफ आहार में देते हैं वह दूध सुरक्षित नहीं है। हाल ही में टीकमगढ़ में हुई कार्रवाई और वहाँ एक डेयरी में भंडारित मिले हाईड्रोजन पेरॉक्साइड ने चिंता बढ़ा दी है, लेकिन प्रशासन का ढुलमुल रवैया आसानी से देखा जा सकता है। जिस मामले में अपर कलेक्टर ने जुर्माना लगाया वह सैम्पल वर्ष 2021 में लिया गया था और जब वाहनों से दूध के सैम्पल लिए गए, वह एक साल पुराना मामला है। इसके बाद न तो डेयरियों की जाँच हुई और न ही किसी पर कार्रवाई की गई। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इसी शहर में खास रक्षा बंधन के समय 22 अगस्त 2023 को 4 क्विंटल से अधिक मावा जब्त किया गया था। यह मावा संभवत: मुरैना से आया था और जिस बस में यह मिला था उसके यात्रियों में से किसी ने भी यह स्वीकार नहीं किया कि वह किसका मावा है। न जाँच आगे बढ़ी और न पता चला कि मावा मिलावटी था या नहीं और किसने किसके लिए इसे शहर तक लाया था।
शहपुरा में एक डेयरी संचालक द्वारा मिलावटी दूध बेचने के मामले में अपर कलेक्टर न्यायालय ने उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया और सख्ती पूर्वक यह आदेश भी दिया कि यदि जुर्माना जमा न किया जाए तो उससे भू-राजस्व बकाया के रूप में वसूली की जाए। चूँकि दूध का मामला प्रत्येक घरों से जुड़ा है और विशेष तौर पर दूध का सेवन बच्चे करते हैं इसलिए मिलावट जैसे कृत्य बर्दाश्त नहीं किए जा सकते।
मिलावट से मुक्ति अभियान के तहत जिला प्रशासन ने डेरियों के दूध और अन्य उत्पादों की जाँच शुरू की। पहले ही दिन करीब 10 डेरियों के वाहनों को रोका गया और दूध, मावा व पनीर के 12 सैम्पल कलेक्ट कर जाँच के लिए राज्य खाद्य प्रयोगशाला भोपाल भेजे गए। खाद्य एवं औषधि निरीक्षक देवकी सोनवानी ने दूध वाहनों को रोका और सैम्पल लिए गए।
त्योहारों के पहले होनी चाहिए कार्रवाई
त्योहारों के पहले अक्सर शहर के मिष्ठान्न भंडारों, होटलों आदि की जाँच की जाती है लेकिन यह कार्रवाई नगर निगम की तरफ से होती है। जिला प्रशासन गाहे-बगाहे ही कार्रवाई करता है। बेहतर हो कि दशहरा और दीपावली के पहले होटल, डेयरी, मिठाई की दुकानों आदि की जाँच होनी चाहिए। दूध के सैम्पल लिए जाने चाहिए और जाँच रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जानी चाहिए।
जाँच में केमिकल न मिलना सुरक्षा की गारंटी नहीं
जिले के खाद्य एवं सुरक्षा विभाग की जाँच में यह बात सामने आई है कि जिले में दूध में पानी की मिलावट तो पाई जाती है लेकिन अन्य किसी केमिकल की मिलावट अभी तक नहीं पाई गई है। इसका यह मतलब तो कतई ही नहीं कि दूध पूरी तरह सुरक्षित ही होगा। पानी की भी मिलावट की जा रही है तो वह पानी कहाँ का है और डेयरियों में इन दिनों जो तरह-तरह के इंजेक्शन जानवरों को लगाए जा रहे हैं उनकी जाँच कब और कौन करेगा यह कहने भी कोई तैयार नहीं है।