जबलपुर: बिजली के दाम बढ़ाने नहीं, बल्कि कम करने की आवश्यकता
- मप्र विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई
- वर्ष 2024-25 के लिए बिजली के दाम तय करने के लिए 13 आपत्तिकर्ताओं ने रखा पक्ष
- बिजली कंपनी 55 हजार करोड़ की जरूरत बता रही है
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बिजली के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव पर मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा सोमवार को जनसुनवाई की गई। आयोग के समक्ष पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्र के 13 आपत्तिकर्ताओं ने अपनी बात रखी।
हर किसी ने बिजली की दर नहीं बढ़ाने के अपने-अपने तर्क आयोग के समक्ष पेश किए। आपत्तिकर्ता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बिजली कंपनी 55 हजार करोड़ की जरूरत बता रही है जबकि असल में 45 हजार करोड़ राजस्व की आवश्यकता है।
इसके बावजूद कंपनी के पास मौजूदा बिजली दर से 53 हजार करोड़ रुपये की आय हो रही है ऐसे में बिजली के दाम बढ़ाने की नहीं, बल्कि 10 प्रतिशत तक कम करने की आवश्यकता है।
ऑनलाइन हुई जनसुनवाई अपराह्न 11 बजे प्रारंभ हुई। आयोग की तरफ से अध्यक्ष एसपीएस परिहार, प्रशांत चतुर्वेदी सदस्य तकनीकी, गोपाल श्रीवास्तव तकनीकी विधि एवं विद्युत वितरण कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
सुनवाई में सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता एवं एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने आपत्ति दर्ज करवाते हुए आँकड़े पेश किए। आयोग को बताया कि विद्युत वितरण कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में वर्ष 2024-25 के लिए जो याचिका दायर की है उसमें 53026 करोड़ रुपये आय बताई है।
जबकि खर्च 55072 करोड़ रुपये दिखाया है। इस आय-व्यय में 2046 करोड़ रुपये का अंतर है जिसके लिए कंपनी ने 3.86 प्रतिशत औसत दाम बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। कंपनी ने याचिका में 10125 करोड़ रुपये अतिरंजित माँग की है।
याचिका के महत्वपूर्ण बिंदु
} सत्यापन याचिका 2022-23 में ज्यादा राशि की माँग की गई थी। इसमें राशि का अंतर 4182 करोड़ रुपये है।
} 2022-23 की मप्र पाॅवर जनरेटिंग कंपनी की सत्यापन याचिका का प्रभाव 1209 करोड़।
} 2024-25 में शुरू होने वाले विद्युत गृहों से अतिरंजित बिजली खरीदी का प्राविधान से एक हजार करोड़ का अंतर।
} एनटीपीसी का मोदा नागपुर तापगृह से शून्य विद्युत खरीदी की वजह से 42.41 करोड़ रुपये।
} एनटीपीसी के कवास एवं गंधार गैस विद्युत गृह से विद्युत सरेंडर के बावजूद राशि की माँग 184.60 करोड़।
} परमाणु ऊर्जा निगम के ककरापार विद्युतगृह चार से गलत प्राविधान की राशि 200 करोड़ रुपये।
} सोलर विद्युत गृहों से अतिरंजित बिजली की उपलब्धता करीब दो हजार करोड़ रुपये।
} इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से बिना अनुमोदन बिजली खरीदी का प्रावधान से 105.13 करोड़ का अंतर।
} मप्र पाॅवर मैनेजमेंट कंपनी के नाम पर राशि 575 करोड़ का प्रावधान।
} क्राॅस सब्सिडी सरचार्ज एवं अतिरिक्त सरचार्ज से प्राप्त राशि 200 करोड़ का उल्लेख नहीं है।
} रिपेयर एवं मेंटेनेंस में 200 करोड़ रुपये ज्यादा माँगा है।
} आरडीएसएस योजना के तहत संचालन एवं संधारण राशि की 226.9 करोड़ की माँग की है।