रादुविवि में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ: शून्य और अनंत की बातें प्राचीन ग्रंथाें में हैं प्रमाणित

  • उच्च शिक्षा मंत्री व अन्य वक्ताओं ने कहा- बच्चों को अवश्य पढ़ाएँ वैदिक गणित
  • गणित हमारे पूर्वजों की देन है, शून्य और अनंत की बातें तो हमारे प्राचीन ग्रंथों में प्रमाणित हैं
  • भारत के वैदिक ज्ञान को समझें और बच्चों को वैदिक गणित जरूर सिखाएँ।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-24 12:02 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मैकाले की शिक्षा पद्धति को भारत में अपनाने से पूर्व भारतीय पाठशालाओं में गणित विषय को वैदिक गणित रीति से पढ़ाया जाता था। ये विधियाँ वैदिक काल से ही विकसित होती रही हैं।

गणित हमारे पूर्वजों की देन है, शून्य और अनंत की बातें तो हमारे प्राचीन ग्रंथों में प्रमाणित हैं, जो हमारे लिए गर्व का विषय है। उक्त उद्गार मुख्य अतिथि एवं उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने व्यक्त किए। अवसर रहा रादुविवि संगठन व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में रादुविवि में वैदिक गणित विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम का। इस अवसर पर रादुविवि और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य एक एमओयू भी हस्ताक्षरित किया गया।

गणित कभी कठिन विषय नहीं रहा-

विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डाॅ. अतुल भाई कोठारी ने कहा कि हम सभी भारत के वैदिक ज्ञान को समझें और बच्चों को वैदिक गणित जरूर सिखाएँ।

कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने विवि की उपलब्धियों को बताया। इस अवसर पर कैंट विधायक अशोक रोहाणी, डाॅ. अभिलाष पाण्डेय, प्रो. राकेश बाजपेयी, कुलसचिव डाॅ. दीपेश मिश्रा, डाॅ. अजय तिवारी, डाॅ. नीलिमा गुप्ता, डाॅ. रामकुमार रजक, प्रो. विवेक मिश्रा, प्रो. एस.एस. संधु, प्रो. धीरेन्द्र पाठक, प्रो. एन.जी. पेन्डसे, डाॅ. आर.के. गुप्ता, अभयकांत मिश्रा, सुनीता देवड़ी, मिनाल गुप्ता डाॅ. नीलेश पाण्डेय, डाॅ. राजेन्द्र कुररिया आदि की उपस्थिति रही।

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