मेडिकल अस्पताल में भर्ती कैदी हथकड़ी खोलकर भागा, मचा हड़कम्प

चल रहा था लकवा का इलाज, गढ़ा थाने में एफआईआर, जेल प्रहरी निलंबित

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-17 17:22 GMT

डिजिटल डेस्क जबलपुर। केंद्रीय जेल से नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में लकवा के इलाज के लिए भर्ती कराया गया एक कैदी बुधवार की सुबह अस्पताल के आईसीयू वार्ड से हथकड़ी खोलकर भाग गया। कैदी के भागने की जानकारी लगने पर जेल व पुलिस प्रशासन हरकत में आया और कैदी को पकडऩे नाकाबंदी करायी गयी लेकिन उसका सुराग नहीं लगा। उधर सुरक्षा में लापरवाही उजागर होने पर जेल प्रहरी को निलंबित कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार नर्मदापुरम निवासी मुईन उर्फ बबलू सिहोरा जेल में बंद था। उसके शरीर में छाले पड़े हुए थे, जिसके चलते वह लगातार लकवा लगने की शिकायत जेल अधिकारियों से कर रहा था, जिसके चलते उसे इलाज के लिए सिहोरा जेल से केंद्रीय जेल जबलपुर ट्रांसफर किया गया था।

केंद्रीय जेल में उसका स्वास्थ्य खराब होने पर इलाज के लिए मेडिकल में भर्ती कराया गया था। बुधवार की सुबह उसकी सुरक्षा के लिए जेल प्रहरी नरेश खंडाते की तैनाती थी। बुधवार की सुबह कैदी मुईन ने जेल प्रहरी को चकमा देकर हथकड़ी से हाथ निकाला और आईसीयू वार्ड से दबे पाँव निकलकर भाग गया। खाली हथकड़ी देख होश उड़े उधर सुरक्षा में तैनात जेल प्रहरी नरेश खंडाते की जब कैदी के पलंग पर नजर पड़ी तो खाली हथकड़ी पड़ी हुई थी। उसके बाद जेल प्रहरी ने अपने स्तर पर उसे तलाशने का प्रयास किया लेकिन जब कैदी नहीं मिला तो इसकी सूचना जेल अधिकारियों को दी गयी। दो माह पहले भी भागा था कैदी ज्ञात हो कि दो माह पहले 3 मई को भी एक कैदी अस्पताल से भागा था। हनुमानताल लाल बहादुर शास्त्री वार्ड 16 क्वार्टर निवासी इमरान को पत्नी नाजिया की हत्या के प्रयास व साली आयशा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

जेल से उसे इलाज के लिए मेडिकल में भर्ती कराया गया था, जो अस्पताल से भागकर अपनी ससुराल पहुँचा और वहाँ पर पत्नी पर हमला किया था जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। फरार कैदी की तलाश जारी सिहोरा जेल से ट्रांसफर होकर आया कैदी मुुईन को इलाज के लिए मेडिकल में भर्ती कराया गया था। बुधवार की सुबह वह हथकड़ी से हाथ निकालकर भाग गया, उसकी तलाश की जा रही है। गढ़ा थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई गयी है, वहीं लापरवाही बरतने के आरोप में जेल प्रहरी को निलंबित किया गया है।

-अखिलेश तोमर, जेल अधीक्षक, केंद्रीय जेल  

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