जबलपुर: जिस गेट से मरीज और एम्बुलेंस आ रहे, उसी गेट से गुजर रहे हाइवा
- जिला अस्पताल में बेतरतीब ढंग से नए भवन का निर्माण
- भारी वाहनों के आने-जाने के लिए नहीं बनाया वैकल्पिक गेट
- निर्माण सामग्री को परिसर में गिराते हैं, जिसके चलते मरीजाें और अन्य लाेग गिरकर घायल हो रहे हैं।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जिला अस्पताल में बन रहे नए भवन की सौगात रोजाना आ रहे मरीजों, उनके परिजनों और अस्पताल स्टाफ के लिए परेशानी का सबब बन रही है, जिसकी बड़ी वजह पीआईयू की बेतरतीब कार्य प्रणाली है।
निर्माण एजेंसी ने काम तो शुरू कर दिया लेकिन सीमेंट मिक्सर और हाइवा जैसे भारी लोडिंग वाहनों की आवाजाही के लिए वैकल्पिक गेट बनाना भूल गए। जिसका नतीजा यह है कि जिला अस्पताल के मुख्य गेट से भारी भरकम लोडिंग वाहन दिन भर गुजरते हैं। निर्माण सामग्री को परिसर में गिराते हैं, जिसके चलते मरीजाें और अन्य लाेग गिरकर घायल हो रहे हैं।
मरीजों, चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ समेत एम्बुलेंसों के आने-जाने के लिए जिला अस्पताल में एक ही मुख्य गेट है, जहाँ प्रतिदिन ही भीड़ का दबाव रहता है। ऐसी स्थिति में उसी गेट से भारी वाहन धमाचौकड़ी मचाते हुए निकल रहे हैं, जिससे मरीजों के साथ अस्पताल का स्टाफ भी परेशान है।
बता दें कि जिला अस्पताल के विस्तार के लिए पीआईयू द्वारा भवन का निर्माण किया जा रहा है। 44.78 करोड़ की लागत से बन रहे नए भवन से अस्पताल में 225 बेड बढ़ेंगे, जिससे अस्पताल की वर्तमान 275 बेड की क्षमता बढ़कर 500 बिस्तरों की हो जाएगी।
बन जाता है भय का माहौल
लोगों का कहना है कि जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर वाहन स्टैण्ड संचालक द्वारा प्रवेश कर रहे लोगों को रोककर पर्ची दी जाती है, ऐसी स्थिति में अचानक मेन गेट से जब ये भारी वाहन प्रवेश करते हैं तो भय का माहौल बन जाता है।
अगर हादसा हुआ तो कौन जिम्मेदार?
जिला अस्पताल की ओपीडी पीक सीजन में 1000-1200 मरीजों तक पहुँचती है, वहीं उनके साथ परिजन और जिला अस्पताल के स्टाफ को मिला दें तो रोजाना यहाँ पहुँचने वाले व्यक्तियों की संख्या 2 हजार तक पहुँच जाती है।
लोगों का कहना है कि ऐसी स्थिति में अगर कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? गेट पर ही कोई भारी वाहन फँस जाए तब मरीज और अन्य लोग कैसे आएँगे-जाएँगे? मामले को लेकर पीआईयू के अधिकारियाें से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।