जबलपुर: वेतन की खुशी से पहले छा जाती है सूदखोरों की दहशत, 30% तक की वसूली में कई घर तबाह
- कभी अदा न होने वाले कर्ज में फँसे कई फैक्ट्री कर्मी
- सबसे पुराने गढ़ राँझी, खमरिया और घमापुर में
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। इस तरह की ऐसी और भी कई जिंदगियाँ हैं जो सूदखोरों के चंगुल में फँसकर रोज जीती हैं, रोज मरती हैं। दरअसल, सूदखोरी का जाल बुना ही इस तरह से गया है कि इसकी गिरफ्त में आने वाले पहले अपना चैन, सुकून और फिर अपना जीवन तक गँवा बैठे हैं।
कुछ समय पहले तक ओएफके, जीसीएफ और वीएफजे के क्षेत्र सूदखोरी के लिए कुख्यात रहे हैं। हालांकि सूदखोरों का अवैध कारोबार अभी भी फल-फूल रहा है। बस…इसके पैटर्न में जरूर बदलाव आए हैं।
पूरे सेटअप में पुलिस का भी किरदार
सूदखोरी के इस सिस्टम में पुलिस का भी अहम किरदार है। जानकारों का कहना है कि राँझी और कोतवाली क्षेत्र में कुछ समय पहले सूदखोरी की शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन पुलिस कार्रवाई करने की बजाय आवभगत में जुट गई और कर्जदारों के सामने स्टाम्प, ब्लैंक चैक रखकर यह कहा गया कि सूदखोरी का तो कोई केस ही नहीं बनता।
उल्टा उन्हें ही डराया-धमकाया गया। हैरानी वाली बात यह है कि इसके बाद पुलिस ने ही सेटलमेंट कराने वाले का किरदार निभाया। इससे बिल्कुल अलग चंद महीनों पहले जब सरकार की तरफ से सूदखाेरों के खिलाफ कार्रवाई का इशारा हुआ था, तब यही पुलिस गली-गली में घुसी, मोहल्ले-मोहल्ले से सूदखोर ढूँढ निकाले थे।
अगर सूदखोर से आप परेशान हैं तो
किसी सूदखोर से आप, आपके रिश्तेदार या मित्र परेशान हैं या फिर आप किसी सूदखोर के बारे में जानते हैं जो लोगों को प्रताड़ित करता है? ऐसे सूदखोर की जानकारी आप हमसे साझा कर सकते हैं। दैनिक भास्कर इसकी पड़ताल कर पर्दाफाश करेगा।
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कर्ज चुका नहीं, जिंदगी कर दी खत्म
सूदखोरों की प्रताड़ना से परेशान होकर सुदामा नगर निवासी महज 28 साल के अनिल सेन ने आत्महत्या कर ली। परिजनों का आरोप रहा कि जिस जहर से युवक की जान गई वह सूदखोरों ने ही खिलाया। लार्डगंज पुलिस मामले में जाँच कर रही है।
उजारपुरवा सुदामा नगर निवासी मृतक की माँ द्रोपती सेन बताती हैं कि अनिल ने कुछ लोगों से मोटी ब्याज दर पर पैसे उधार लिए थे। बाकायदा ब्याज चुका रहा था लेकिन सूदखोरों ने इसके बाद भी उसे नहीं बख्शा।
ब्याज नहीं तो बाइक, गैस उठा लिए
राँझी निवासी एक सूदखोर ने समय पर ब्याज न मिलने पर पहले तो कर्जदारों को धमकाया, बाद में उनके साथ मारपीट भी कराई। इसके बाद 20 से 30 प्रतिशत ब्याज दर की वसूली के लिए दबाव बनाने सूदखोर के गुर्गे कर्जदारों के घर से मोटर साइकिल, घरेलू गैस सिलेंडर, ऑटो व मोबाइल फोन तक उठा ले गए। कुछ लोगों ने शिकायत की तो पुलिस ने दबिश दी। मौके से कई वाहन, गैस सिलेंडर सहित गृहस्थी का सामान बरामद किया गया।
इतना सताया कि जहर खाना पड़ा
गढ़ा निवासी आशीष ने व्यापार के सिलसिले में ब्याज पर रकम उधार ली थी। कुछ समय तक बाकायदा वक्त पर ब्याज भी देता रहा लेकिन आगे चलकर ऐसा वक्त भी आया कि व्यवसाय में घाटा होने लगा।
इस दौरान कुछ समय के लिए ब्याज की किश्त जाना बंद हो गई। इसके बाद सूदखोर पहले मानसिक फिर शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करने लगा। आशीष को इस हद तक टाॅर्चर किया गया कि उसने जहर का सेवन कर लिया।