देश को हिंदू राष्ट्र की नहीं, राम राज्य की जरुरत
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा-देश में राजनीति नहीं, गोलबंदी हो रही है
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने देश में हिंदू राष्ट्र को लेकर उठ रही मांग के संबंध में कहा कि देश को हिंदू राष्ट्र की नहीं, राम राज्य की जरुरत है। गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि वर्तमान में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र व्यवस्था से लोगों का मोहभंग हो रहा है, इसलिए हिंदू राष्ट्र की मांग उठ रही है। उन्होंने कहा कि देश में राजनीति नहीं, गोलबंदी है, इस गोलबंदी को ही राजनीति मान लिया गया है। गोलबंदी में हम हिंदू राष्ट्र के वह लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते हैँ, जिसका स्वरुप हमारे पूर्वजों ने स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि यह वह राजनीति नहीं है जिसका मतलब राजा के द्वारा पालन की जाने वाली नीति से होता है। राजनीति शब्द बहुत ऊंचा है। यह वह राजनीति नहीं है जो महाभारत और रामायण में वर्णित है। हमारी राजनीति में राज और नीति दोनों धर्म के समान है। भारत में राजा के लिए प्रजा बच्चों के समान है। सबका कल्याण हो यह आदर्श हमारे राजाओं ने स्थापित किया था। आज हिंदू राष्ट्र की बात हो रही है तो इससे बेहतर राम राज्य की स्थापना होना चाहिए। राम राज्य में सबका कल्याण है, राम राज्य में कोई अपना पराया नहीं है। राम राज्य अर्थात सबके लिए समान न्याय है, जहां कोई भाई-भतीजावाद नहीं, जातिवाद नहीं, कोई विद्वेष नहीं। उन्होंने कहा कि भारत में हिंदुओं को अपने धर्म के बारे में पढ़ाने का अधिकार नहीं मिला। अल्पसंख्यक स्कूलों में अपने धर्म के बारे में जानकारी दे सकते हैं लेकिन हिंदू आचमन और प्राणायाम कैसे करना है, वह नहीं सिखा सकते। उन्होंने प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति को वापस लाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वे गुरुदेव स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज से मिले निर्देश पर दस हजार बच्चों को गुरुकुल की शिक्षा देने के लिए प्रयासरत है।
अगर चमत्कार होता तो अस्पताल की जरुरत क्यों:-
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हमसे यह पूछा गया कि क्या चमत्कार होते हैं, हमने कहा बिल्कुल नहीं होते हैं। अगर चमत्कार होता है तो क्यों अस्पताल बने, अगर चमत्कार होता तो क्यों लोग समस्याओं में हैं। चमत्कार नहीं हेाता पुरुषार्थ करना चाहिए। चमत्कार होते तो क्या बात थी, बागेश्वर वाले स्वयं अस्पताल बनाने की बात कह रहे हैं। वह चमत्कार से ही ठीक कर देते, अस्पताल बनाने की क्या जरुरत है। लोग कह देते हैं हम बागेश्वर के खिलाफ बोल रहे हैं। हम उनके खिलाफ क्यों बोलेंगे। हमने यह कहा था कोई भी चमत्कारी हो, देश में विदेश में किसी भी धर्म का वो आकर के जोशीमठ में मकानों की दरारें भर दे, आया क्या कोई, कोई नहीं आया। अगर कोई चमत्कारी होता तो दावा करता न कि मैं आ रहा हूं। कोई जादूगर भी नहीं आया।
कॉलेज के दिनों में छात्रों का किया नेतृत्व:-
बीएचयू में अध्ययन के दौरान राजनीति की ओर उनके रुझान के संबंध में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि छात्र जीवन में नेतृत्व की आवश्यकता थी। हमारे साथियों ने कहा कि आप नेतृत्व करें, तो हमने किया। और धर्म के बारे में गुरुजी ने कहा कि नेतृत्व करो तो हम कर रहे हैं। अपने मन से हम कोई कार्य नहीं करते। छात्र जीवन में साथियों के कहने पर नेतृत्व किया और अब धर्माचार्य के रुप में भी गुरुजी के आदेश पर कर रहे हैं।