नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा: अयोग्य और कमी पाए गए कॉलेजों के छात्रों को भी परीक्षा की अनुमति
- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जीरो ईयर के संबंध में सरकार के निर्णय का इंतजार
- छात्रों को एक अवसर प्रदान करते हुए परीक्षा में शामिल करने के आदेश जारी किये हैं।
- हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधिन करने की अनुमति दे दी है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले से हजारों नर्सिंग छात्रों को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने सीबीआई जाँच में पाए गए अयोग्य और कमियों वाले कॉलेज में अध्ययनरत छात्रों को भी परीक्षा में शामिल करने की अनुमति प्रदान की।
जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है ये छात्र स्नातक नहीं हैं। सरकारी कर्मचारियों की गलतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। छात्रों को एक अवसर प्रदान करते हुए परीक्षा में शामिल करने के आदेश जारी किये हैं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि परीक्षा में बैठने की सशर्त अनुमति दी जा रही है। जो छात्र कॉलेजों में अध्ययनरत रहे हैं या उन्होंने प्रशिक्षण लिया है, अगर वो परीक्षा में पास होते हैं तो ही उन्हें आगे के लाभ मिलेंगे। लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के संचालन को चुनौती देने के मामले में सुनवाई हुई।
अपात्र व कमियाँ पाए गए कॉलेजों की ओर से अंतरिम आवेदन पेश कर पूर्व में दिए गए फैसले में संशोधन की माँग की गई थी। आवेदन में कहा गया था कि यदि उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया गया तो उनके कई वर्ष बर्बाद हो जाएँगे।
कुछ छात्रों की ओर से माँग की गई थी कि छात्रों के भविष्य को देखते हुए और कोरोना काल में नर्सिंग छात्रों द्वारा दी गई सेवाओं को ध्यान में रखते हुए सभी छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित किया जाये।
गौरतलब है कि सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया था कि जाँच में कुल 169 कॉलेज योग्य पाए गए। 74 कॉलेज ऐसे हैं जिनमें वे कमियाँ हैं, जिन्हें सुधारा जा सकता है। वहीं सीबीआई ने 65 कॉलेजों को अयोग्य करार दिया था।
हाईकोर्ट ने अयोग्य कॉलेजों, उनमें अध्ययनरत छात्रों के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया था। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने एक आवेदन पेश कर हाईकोर्ट को बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियमों में बड़ा फेरबदल करते हुए नये नियम बना दिए हैं जो कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों के विपरीत है।
ये नियम अपात्र कॉलेजों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से बनाये गये हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधिन करने की अनुमति दे दी है।
जीरो ईयर: सरकार के पाले में गेंद
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने वर्ष 2023-24 को जीरो ईयर घोषित करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी को यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
इस मामले में मेडिकल विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है। सराकर ने अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गेंद राज्य सरकार के पाले में डालना उचित है। कोर्ट ने कहा कि वह अपना फैसला राज्य शासन का निर्णय आने के बाद सुनाएगी। वहीं, कोर्ट ने योग्य पाए गए कॉलेजों को वर्ष 2022-23 में प्रवेश की अनुमति दे दी।