जबलपुर: पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं मिट्टी से बनी प्रतिमाएँ, इन्हें ही करें स्थापित
प्लास्टर ऑफ पेरिस के घातक केमिकल्स से प्रकृति को बचाएँ, जागरूकता की जरूरत
डिजिटल डेस्क, जबलपुर।
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए भले ही प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की प्रतिमाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है इसके बाद भी अन्य शहरों से पीओपी की प्रतिमाएँ शहर पहुँचती हैं। अब गणेश चतुर्थी को चंद रोज ही बचे हैं। ऐसे में बाहर से प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएँ आने का क्रम भी शुरू हो जाएगा। पीओपी की प्रतिमाएँ शहर न पहुँचें इसके लिए व्यापारियों के साथ आम लोगों को जागरूक होना चाहिए। उन्हें मिट्टी से बनी प्रतिमाओं के फायदे और प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाओं के नुकसान के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा प्रशासन को भी सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
ईको-फ्रेंडली होती हैं प्रतिमाएँ
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी से बनी मूर्ति सबसे शुद्ध होती है। इसे बनाने में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। पानी में आसानी से घुल जाने के कारण इस मूर्ति को घर पर ही विसर्जित किया जा सकता है। मिट्टी की मूर्ति ईको- फ्रेंडली होती है। इस मूर्ति से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। इसलिए मिट्टी से बनी प्रतिमाएँ ही गणेशोत्सव के दौरान स्थापित करनी चाहिए।
हो सकती है पथरी भी
पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. एचबी पालन के अनुसार पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति पानी में नहीं घुलती है। यह नदी में विसर्जित करने पर नदी के तल पर जमा हो जाती है। इस पानी को पीने से हाई कैल्शियम की वजह से पथरी भी हो सकती है। नदी में मौजूद जलीय जीवों के लिए पीओपी नुकसानदायक है। इन मूर्तियों में हेवी मेटल वाले रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पानी को प्रदूषित करते हैं।